गठबंधन नहीं हुआ तो कई बसपा सांसद छोड़ सकते हैं पार्टी: सूत्र

गठबंधन नहीं हुआ तो कई बसपा सांसद छोड़ सकते हैं पार्टी: सूत्र

जैसे-जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं सियासी दांव  पेंच भी उसी लिहाज से तेज होते जा रहे हैं। सियासी उठापटक के बीच बहुजन समाज पार्टी के भीतर नेताओं में खूब नाराजगी देखने को मिल रही है। दरअसल बहुजन समाज पार्टी के कई नेता यह मानते हैं कि 2019 में गठबंधन के सहारे बहुजन समाज पार्टी की नैया पार हुई थी। इस बार गठबंधन नहीं हुआ तो बहुजन समाज पार्टी की जीत की नैया मंझधार में फंस सकती है।

हालांकि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने स्पष्ट किया है कि वह आने वाले लोकसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करने वाली। मायावती के इस बयान के बाद पार्टी के अंदर खूब उठा पटक और चर्चाएं हो रही हैं। सियासी जानकार भी मानते हैं कि बहुजन समाज पार्टी के ज्यादातर सांसद या तो दल बदलने में लगे हुए हैं या फिर पार्टी में रहकर अंदरूनी तौर पर गठबंधन की वकालत कर रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी की ‘एकला चलो’ रणनीति अब मायावती की अपनी ही सियासत पर हावी होने लगी है। बहुजन समाज पार्टी के कई कद्दावर नेता मायावती की रणनीति का न सिर्फ अंदर खाने विरोध कर रहे हैं बल्कि बगावत के मूड में भी आ गए हैं। बसपा के अंदरूनी हालात ऐसे हो गए हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में जीते ज्यादातर सांसद नए ठिकाने की तलाश में लगे हैं।

बहुजन समाज पार्टी के नेता ही इस बात को मानते हैं कि बगैर गठबंधन के चुनाव में उतरना न सिर्फ पार्टी के लिए बल्कि बसपा से ताल्लुक रखने वाले नेताओं के सियासी करियर के लिहाज से भी मुफीद नहीं है। वहीं बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भी स्पष्ट इशारा कर दिया कि ज्यादातर वर्तमान लोकसभा सांसदों को टिकट दिया जाना संभव नहीं है।

बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पिछले चुनाव में जीते ज्यादातर सांसद अलग-अलग सियासी राह तलाशने में लगे हैं। बहुजन समाज पार्टी से अमरोहा के सांसद दानिश अली पहले से ही राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होकर अपना सियासी संदेश दे चुके हैं। जबकि बसपा के ही श्याम सिंह यादव भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ शामिल हो चुके हैं।

इसके अलावा बसपा के सांसद मलूक नागर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के तारीफ में कसीदे पढ़ते आए हैं। लालगंज के सांसद संगीत आजाद के बारे में पूरे क्षेत्र में भाजपा से नजदीकी की चर्चाएं हो रही है। श्रावस्ती के सांसद राम शिरोमणि वर्मा भी नए सियासी ठौर की तलाश में बताए जा रहे हैं। बसपा के ही सांसद रहे अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है।

अंबेडकर नगर के सांसद रितेश पांडे भी भारतीय जनता पार्टी का दामन पकड़कर इस साल चुनावी नैया पार लगाने के मूड में हैं। बहुजन समाज पार्टी से निलंबित सांसद दानिश अली कहते हैं कि यह तो उन सियासी दलों को सोचना होगा कि आखिर लोग क्यों किसी दल से अपना दामन छुड़ा रहे हैं।

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