मैं ग़द्दारों और को जवाब नहीं देता: उद्धव ठाकरे
दो दिन पहले मुंबई में एकनाथ शिंदे की दशहरा रैली में शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास क़दम ने ऐसा बयान देकर सनसनी फैला दी थी कि, उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे की मौत के बाद उनकी लाश को दो दिनों तक ऐसे ही रखा था क्योंकि उन्हें बाल ठाकरे के अंगूठे के निशान लेने थे। इस बयान पर पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने पहले ही रामदास क़दम को कड़ा जवाब दिया था, लेकिन अब खुद उद्धव ठाकरे ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और सिर्फ इतना कहा है — “मैं गद्दारों और नमक हरामों की बात का जवाब नहीं देता।”
शनिवार को जब मुंबई में मीडिया ने उद्धव ठाकरे का ध्यान रामदास क़दम के बयान की ओर दिलाया तो उन्होंने कहा, “मैं गद्दारों और नमकहरामों को जवाब नहीं देता, और मुझे उसकी कोई ज़रूरत भी नहीं है। ‘ठाकरे’ का मतलब क्या होता है, यह सब जानते हैं, लेकिन मुझे गद्दारों और नमकहरामों को जवाब देने की आवश्यकता नहीं है।”
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या इस बयान से आपको तकलीफ हुई? तो उद्धव ठाकरे ने कहा, “हाँ, मुझे दुख हुआ और रंज भी होता है, लेकिन जब शिवाजी पार्क में हजारों लोग मुझसे कहते हैं ‘आप बोलते रहिए’, तो वही मेरे रंज का इलाज बन जाता है। गालियाँ देने वालों से ज्यादा दुआएँ देने वाले हाथ मेरे साथ हैं, इसलिए मैं अब तक डटा हुआ हूँ।”
भले ही उद्धव ठाकरे ने सीधे तौर पर रामदास क़दम पर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनकी पार्टी के विधायक अनिल परब ने उन पर बेहद तीखा हमला बोला। अनिल परब ने कहा, “रामदास क़दम ने दशहरा रैली में बहुत गिरी हुई हरकत की है। हम उसे जवाब देना नहीं चाहते थे, उसे जवाब देना उसकी औकात से बाहर है। लेकिन उसने हमारे देवता, यानी बालासाहेब ठाकरे की मौत पर सवाल उठाया है, इसलिए हमें जवाब देना पड़ा।”
अनिल परब ने आगे कहा, “मैं बालासाहेब ठाकरे के आखिरी वक्त में 24 घंटे उनके साथ था, इसलिए मैं हर बात का गवाह हूँ। अब उनकी मौत के 15 साल बाद क़दम का यह दर्द छलक रहा है। साल 2014 में जब रामदास क़दम मंत्री बनाए गए थे, तब उन्हें उद्धव ठाकरे ने ही मंत्री बनाया था। तब उद्धव ठाकरे अच्छे थे। उनके बेटे को भी विधायक बनवाया था, तब भी उद्धव ठाकरे अच्छे थे। जब उन्हें सब कुछ मिल रहा था तब उद्धव ठाकरे अच्छे थे, अब बुरे क्यों हो गए? अगर वे खुद को इतना ईमानदार और स्वाभिमानी समझते हैं, तो उसी वक्त पार्टी छोड़ देनी चाहिए थी।”
अनिल परब ने रामदास क़दम पर एक गंभीर आरोप भी लगाया कि 1993 में उनकी पत्नी ने खुद को आग लगा ली थी — लेकिन उसने खुद आग लगाई थी या उसे जलाया गया था, इसकी जांच होनी चाहिए। इसके लिए रामदास क़दम का नार्को टेस्ट होना चाहिए। परब ने कहा कि महाराष्ट्र के असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए रामदास कदम इस तरह के नीच और विवादित बयान दे रहे हैं।


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