गृहमंत्री के गांव तीन लाख की आबादी पर केवल 4 डॉक्टर और 5 वेंटिलेटर

गृहमंत्री के गांव का बुरा हाल, साढ़े तीन लाख की आबादी पर केवल 4 सरकारी डॉक्टर और 5 वेंटिलेटर, भारत में Covid-19 के क़हर से चारों ओर भयावह स्थिति बनी हुई है, जिधर देखो लाशों का अंबार और मौत का मंज़र है, हर तरफ़ चीख़ पुकार का माहौल है।

देश ने इस महामारी से मुक़ाबला करने की ज़िम्मेदारी जिनके हवाले की है वह बेफ़िक्र हैं क्योंकि वह मौत के सौदागर हैं, वह भली भांति जानते हैं कि भारत में वोट अस्पताल और ऑक्सीजन के नाम पर नहीं धर्म के नाम पर मिलता है।

हम यहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पैतृक गांव माणसा की बात कर रहे हैं जो अपने आप में एक छोटा शहर है।
माणसा के हेल्थ व्यवस्था की अगर बात करें तो यहां केवल एक सरकारी अस्पताल है जिसमें केवल 10 बेड हैं, और 4 प्राइवेट अस्पताल हैं जिनमें से किसी में भी 8 बेड से अधिक नहीं हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि माणसा में 3 लाख 50 हज़ार की आबादी है और अस्पतालों में टोटल बेड की संख्या 35 है यानी हर 10 हज़ार पर 1 बेड, यह एक भयानक आंकड़ा है और दुर्भाग्यपूर्ण यह देश के गृहमंत्री का पैतृक गांव है।

हैरतअंगेज़ बात यह है कि माणसा के सरकारी हॉस्पिटल में केवल 4 डॉक्टर हैं जो साढ़े तीन लाख की आबादी का इलाज करते हैं, 1 लाख लोगों पर 1 डॉक्टर के अलावा यहां के सरकारी हॉस्पिटल में 5 वेंटिलेटर भी हैं जो केवल नाम के हैं क्योंकि उन्हें कोई चलाने वाला है ही नहीं।

Covid-19 महामारी की दूसरी लहर की बात करें तो माणसा के बिलोद्रा गांव में बीते महीने में 260, इटारदा में 240, लिंबोद्रा में 120 और बालवा में 70 लोगों ने जानें गंवाई हैं जिनमें 20% लोग 18 वर्ष से कम थे।

इतना ही नहीं माणसा के आस पास के गांवों में न कोई टेस्टिंग की सुविधा है और नहीं कोई आइसोलेशन सेंटर है, माणस में एक टेस्टिंग सेंटर ज़रूर है लेकिन वहां टेस्टिंग किट भी मौजूद नहीं रहती।

यहां के गवर्नमेंट हॉस्पिटल के चिकित्सा अधिकारी डॉ जितेश बारोट का कहना है कि हमारे यहां Covid-19 के लिए 16 बेड हैं लेकिन ऑक्सीजन की कमी है, यही कारण है कि हम केवल 10 मरीज़ों को ही एडमिट कर पाते हैं, मजबूरी में 6 बेड ख़ाली रखना पड़ता है क्योंकि हम चाहते हुए भी 10 से अधिक मरीज़ों को ऑक्सीजन प्रोवाइड नहीं कर पाते।

वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने गृहमंत्री अमित शाह के पैतृक गांव की मेडिकल व्यवस्था की इस भयानक सच्चाई पर दैनिक भास्कर अख़बार का हवाला देते हुए लिखा: सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की क़िल्लत, ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों की भर्ती में कमी, कोविड सेंटर बंद, राम भरोसे सरकारी अस्पताल, बाक़ी सब चंगा है, PM दुखी हैं और शाह गुम हैं।

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