सुप्रीम कोर्ट बुधवार को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह द्वारा दायर की गए याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है, जिसमें पूर्व पुलिस कमिश्नर ने अनिल देशमुख पर ‘जबरन वसूली का आरोप लगाया है।
बता दें कि शीर्ष अदालत के दो न्यायाधीश जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और आर सुभाष रेड्डी शामिल हैं, सिंह द्वारा दायर याचिका पर कल सुनवाई करेंगे
पूर्व पुलिस कमिश्नर सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि देशमुख के कथित भ्रष्ट व्यवहार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, डिप्टी सीएम अजीत पवार और कुछ वरिष्ठ नेताओं के ध्यान में लाने के तुरंत बाद उन्हें होमगार्ड में “कम महत्वपूर्ण” पद पर स्थानांतरित कर दिया गया।
20 मार्च को मुख्यमंत्री ठाकरे को भेजे गए पत्र में, पूर्व कमिश्नर ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे को मुंबई के होटल, बार और रेस्तरां से प्रति माह 100 करोड़ इकट्ठा करने का निर्देश दिया था।
सिंह का खाना है कि गृह मंत्री के निवास पर देशमुख और वेज़ की मुलाकात “फरवरी के मध्य और उसके बाद” हुई थी। मैं यह इन बैठकों में था, इस बैठक में वेज़ को पैसा इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था।
वझे वर्तमान में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में है जो अंबानी बम कांड की जांच और संबंधित मनसुख हिरन की मौत के मामले को संभाल रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार देशमुख और उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) दोनों ने सिंह के आरोपों का खंडन किया है, साथ ही मंत्री ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी भी दी है।
एनसीपी के अलावा, महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महा विकास अगाड़ी (एमवीए) में शिवसेना और कांग्रेस शामिल हैं। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने रविवार और सोमवार को अपनी पार्टी के सहयोगी देशमुख का समर्थन करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमे उन्होंने साफ़ कहा था कि अनिल देशमुख के इस्तीफे का सवाल ही पैदा नहीं होगा. हालांकि, उन्होंने ये भी साफ़ कर दिया है कि गृहमंत्री पर लगे आरोपों की जांच ज़रूर होगी.