उप्र में सरकारी नौकरियों का तो अता-पता नहीं, कानून ला रहे हैं जनसंख्या नीति पर

उप्र में सरकारी नौकरियों का तो अता-पता नहीं, कानून ला रहे हैं जनसँख्या नीति पर

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी की नई जनसंख्या नीति को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने तंज कस्ते हुए अपने फेसबुक पेज पर लिखी एक पोस्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में सरकारी नौकरियों का तो अता-पता नहीं लेकिन कानून ला रहे हैं कि 2 बच्चों से अधिक पर नौकरी नहीं मिलेगी।

रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, खबर के अनुसार प्रस्तावित क़ानून के मुताबिक़ जिनके दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। जो सरकारी नौकरी में हैं और दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें कई सुविधाएँ नहीं मिलेंगी।
पत्रकार रविश कुमार ने कहा कि: ये पढ़कर मैं उन लाखों नौजवानों के बारे में सोच रहा हूँ जिनकी शादी सरकारी नौकरी न मिलने के कारण नहीं हुई है। ऐसे बच्चों को तय समय में भर्ती प्रक्रिया पूरी कर नौकरी देने के मामले में यूपी ने क्या प्रगति की है, वहाँ से नौजवान भलीभाँति जानते होंगे।

उन्होंने कहा कि आज योगी सरकार ज़िला परिषद और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में हुई हिंसा को सही ठहराने में लगे हैं लेकिन उनसे पूछा जा सकता है कि दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, ऐसे प्रस्ताव पर उनकी क्या राय है।

रवीश कुमार ने सरकार से सवाल किया कि हर बात में डेटा डेटा करने वाली सरकार क्यों नहीं बताती है कि कितने ऐसे नौजवान हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं और वो सरकारी भर्ती की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं?

क्या इनकी तादाद इतनी है कि सरकार को क़ानून लाना पड़ रहा है? दूसरा कुछ ऐसे नौजवान तो होंगे ही जो कई सालों से अपनी भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने का इंतज़ार कर रहे हैं। इनमें से कितने हैं जिनके दो से अधिक बच्चे हैं? जो लोग पहले से सरकारी सेवा में हैं और जिनके दो से अधिक बच्चे हैं उन्हें प्रताड़ित करने का कोई तुक नहीं बनता है।

रवीश कुमार ने तंज़ किया कि क्या बीजेपी अपने ऐसे सांसदों और विधायकों के टिकट काट देगी जिनके दो से अधिक बच्चे हैं? तो अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रस्ताव पास कर दिखा दे।

हलाकि रवीश कुमार ने कहा कि आप देखेंगे कि जब भी ऐसे क़ानून की बात होती है अपने नेताओं को रियायत दी जाती है कि पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जब पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे तो फिर विधान सभा और लोक सभा का चुनाव क्यों लड़ेंगे? राज्यपाल क्यों बना रहे हैं। क्या सरकारी नौकरियों में इस आधार पर वर्गीकरण किया गया है?

उन्होंने आगे लिखा, चुनाव आ रहा है। जनता रोज़गार और नौकरी का सवाल करती लेकिन मुद्दे को ही घुमा कर  आबादी पर कर दिया गया ताकि लोगों के दिमाग़ में घुसाया जा सके कि सरकार लोगों को कैसे नौकरी देगी। देश में इतनी आबादी है।

इस मसले से बेरोज़गार युवा अपने ही परिवार में बेगाना हो जाएगा। आबादी के नाम पर हिन्दू परिवारों को कल्पनालोक में धकेल दिया जाएगा कि मुसलमानों की आबादी बहुत है इसलिए नौकरी कम है। वो भूल जाएँगे कि नौकरियों में मुसलमानों की मौजदूगी न के बराबर है।

रवीश कुमार ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को घेरते हुए कहा कि जो सरकार अपने राज्य के युवाओं को नौकरी नहीं दे पा रही है वो क़ानून ये क़ानून ला रही है कि जिसके दो से अधिक बच्चे होंगे तो नौकरी नहीं देंगे। लग रहा है जिनके कोई बच्चे नहीं हैं उनकी नौकरी के लिए यूपी सरकार ने काउंटर खोल रखा है।

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