चुनाव में हार के डर से मुसलमानों को खुश करने की कोशिश हो रही है: कांग्रेस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार द्वारा एक के बाद एक प्रस्तावों को मंजूरी दी जा रही है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में मदरसों के कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों के वेतन में 10 हजार रुपये (3 गुना) की वृद्धि और मौलाना आजाद वित्तीय निगम के ऋण देने की गारंटी में 300 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी का फैसला किया गया। विपक्ष की ओर से इन फैसलों पर आलोचना की जा रही है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान ने कहा कि विधानसभा चुनाव के डर से सरकार को मुसलमानों की याद आ रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी-शिंदे सरकार के नेता लगातार मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं और मस्जिदों में घुसकर चुन-चुनकर मारने की धमकियाँ दे रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, बल्कि उनका समर्थन किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, मदरसों को बंद करने की धमकियाँ मिल रही हैं, लेकिन सरकार धमकी देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। सिर्फ मुसलमानों को अस्थायी रूप से खुश करने के लिए मदरसों के शिक्षकों के वेतन में वृद्धि की जा रही है, जो वास्तव में मुस्लिम वोटों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
आरिफ नसीम ने कहा, ‘‘मदरसों में डी.एड. और बी.एड. शिक्षकों को दिए जाने वाले वेतन में बढ़ोतरी का फैसला कैबिनेट की बैठक में किया गया है और मौलाना आजाद निगम के शेयर पूंजी में भी बढ़ोतरी की गई है। यह फैसला मुसलमानों की तरक्की के इरादे से नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव में हुई हार और आगामी विधानसभा चुनाव में हार के डर के चलते किया गया है। फिर भी हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी सरकार का ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ का नारा केवल बातें हैं, कभी अमल में नहीं आया। आरिफ नसीम ने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि बीजेपी-शिंदे सरकार के विधायक और असामाजिक नेता लगातार मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देते हैं। उनके खिलाफ थाने में मामला दर्ज होने के बावजूद सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
बीजेपी-शिंदे सरकार चाहे जितने लोकप्रिय नारे लगाए, मुस्लिम समुदाय किसी भ्रम में नहीं आने वाला है। बीजेपी-शिंदे सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और वह कुछ दिनों की मेहमान है।’