चंडीगढ़ मेयर चुनाव में परिणाम के लिए आठ वोटों को भी वैध माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में परिणाम के लिए आठ वोटों को भी वैध माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट 

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अहम सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि वोटों की फिर गिनती होगी। कोर्ट ने कहा कि अमान्य घोषित किए गए 8 वोट अब मान्य होंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में कोर्ट की अवमानना की गई है। पोल अधिकारी ने कोर्ट को गुमराह किया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने भाजपा और आप के बीच विवाद के केंद्र में पहले आठ ‘अमान्य’ क़रार दिए गए वोटों की जांच की और कहा कि उन्हें फिर से गिना जाएगा। उन्होंने कहा कि इन आठ वोटों को भी वैध माना जाएगा और इसके आधार पर ही परिणाम घोषित किए जाएंगे।

मेयर चुनाव में जब पिछली बार गिनती हुई थी तब भाजपा के मनोज सोनकर को 16 वोट मिले थे। बीजेपी के ख़िलाफ़ कांग्रेस-आप गठबंधन में उतरे उम्मीदवार को 12 वोट मिले थे। इस प्रक्रिया में आठ वोट अवैध घोषित कर दिये गये थे। ये वोट आप-कांग्रेस गठबंधन के थे। गठबंधन के पास कुल 20 पार्षद थे और माना जा रहा था कि चुनाव में कांग्रेस-आप के उम्मीदवार को हराना मुश्किल होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही सोमवार को प्रस्ताव दिया था कि विवादास्पद चंडीगढ़ मेयर के लिए नए चुनाव का आदेश देने के बजाय मौजूदा मतपत्रों के आधार पर नतीजे घोषित किए जाएँ। शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह निर्देश देगा कि पहले से डाले गए वोटों की गिनती उन निशानों को नजरअंदाज करके की जाए जो पिछले पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा उन पर लगाए गए थे।

हालाँकि इस प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आख़िरी मुहर इसलिए नहीं लगाई थी क्योंकि चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रख दी थी कि कुछ मतपत्र फटे हुए हैं। इस पर न्यायालय ने इसकी जांच के लिए मंगलवार को मतपत्र पेश करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले रविवार शाम को बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 30 जनवरी को आप के कुलदीप कुमार को हराकर चुनाव जीता था। इस्तीफे के कुछ देर बाद ही बीजेपी ने आप के तीन पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था। समझा जा रहा था कि बीजेपी ने ऐसा इसलिए किया कि फिर से चुनाव कराया जाए और ऐसे में उसके पास अब 19 पार्षद हो जाते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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