इलेक्टोरल बॉन्ड। घाटे वाली कंपनियों ने भाजपा को 450 करोड़ का चंदा दिया: संजय सिंह

इलेक्टोरल बॉन्ड। घाटे वाली कंपनियों ने भाजपा को 450 करोड़ का चंदा दिया: संजय सिंह

नई दिल्लीः इलेक्टोरल बॉन्ड में हुए घोटाले पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने खुलासा किया है। प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि 33 कंपनियों को 7 साल में एक लाख करोड़ का घाटा हुआ। इन कंपनियों ने भारतीय जनता पार्टी को 450 करोड़ का चंदा दिया है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सीबीआई और ईडी पर सवाल खड़े किए हैं।

सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार भारतीय जनता पार्टी ने किया है। यह घोटाला इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर हुआ है। यह घोटाला चंदे के नाम पर हुआ है। नियमों में बदलाव किए गए, हजारों करोड़ों रुपए टैक्स की छूट दी गई और लाखों करोड़ों रुपए का कंपनियों को ठेका दिया गया। यह सब कुछ पर्दे के पीछे चल रहा था। भला हो सर्वोच्च न्यायालय का, कि वो इस पूरे मामले को सामने लाया और जो डाटा छिपा था वह सब डाटा सामने आया।

उन्होंने आगे कहा कि 17 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने या तो शून्य टैक्स चुकाया है या फिर उन्हें टैक्स में छूट मिली है। छह कंपनियों ने भाजपा को 600 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। एक कंपनी ने अपने मुनाफे से तीन गुना ज्यादा चंदा दिया। एक ऐसी कंपनी है जिसने अपने मुनाफे का 93 गुना दान कर दिया है। तीन कंपनियां हैं जिन्होंने 28 करोड़ रुपए का चंदा दिया है और शून्य कर का भुगतान किया है।

आप सांसद संजय सिंह ने बताया कि आखिर कैसे घोटाला हुआ। उन्होंने कहा कि जो 33 कंपनियां हैं। जिन्हें साल साल में एक लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इन कंपनियों ने 450 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा को दिया। इनमें से 17 ने टैक्स नहीं दिया या टैक्स में रीबेट मिला है। छह ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने भाजपा को 600 करोड़ चंदा दिया है।

वहीं एक कंपनी ऐसी है जिसने अपने मुनाफे से तीन गुणा ज्यादा चंदा दिया है। एक कंपनी ऐसी है। जिसने अपने मुनाफे का 93 गुणा ज्यादा चंदा दिया है। जबकि तीन कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने कभी टैक्स ही नहीं दिया। लेकिन भाजपा को 28 करोड़ रुपये का चंदा दिया।

सांसद संजय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार और भाजपा ने सुनियोजित तरीके से लाखों करोड़ का भ्रष्टाचार किया है। यह भ्रष्टाचार इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से किया गया है। नियमों में बदलाव कर कैसे कंपनियों को हजारों करोड़ टैक्स की छूट दी गई। इतना ही नहीं कंपनियों को ठेका भी दिया गया।

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