जस्टिस विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति पर मतभेद, जस्टिस नागरत्ना असहमत

जस्टिस विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति पर मतभेद, जस्टिस नागरत्ना असहमत

सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश पर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति न्यायपालिका के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। अगर जस्टिस पंचोली सुप्रीम कोर्ट के जज बनते हैं तो वे अक्टूबर 2031 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बन सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना ने मई माह में ही पंचोली के नाम पर असहमति जताई थी। उस समय पहली बार उनका नाम कॉलेजियम में आया था। बाद में जस्टिस एन.वी. अंजारिया को सुप्रीम कोर्ट में पंचोली से पहले नियुक्त किया गया। तीन महीने बाद जब फिर से पंचोली का नाम सामने आया, तो नागरत्ना ने विरोध को औपचारिक रूप दिया।

25 अगस्त को सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता में हुई कॉलेजियम बैठक में बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस पंचोली के नाम केंद्र को भेजे गए। इस बैठक में पांच सदस्य शामिल थे—सीजेआई गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस नागरत्ना।

सीजेएआर ने उठाए सवाल
एनजीओ “कैम्पेन फॉर जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स” (CJAR) ने भी इस मामले पर बयान जारी किया। संगठन ने कहा कि 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाले गए कॉलेजियम के बयान ने पारदर्शिता के मानकों का मजाक बना दिया है। सीजेएआर के अनुसार, जस्टिस पंचोली की नियुक्ति 4-1 के बहुमत से हुई है, जिसमें नागरत्ना असहमत थीं।

बयान में यह भी कहा गया कि पंचोली गुजरात से सुप्रीम कोर्ट में आने वाले तीसरे जज होंगे, जबकि गुजरात हाईकोर्ट के आकार की तुलना में यह प्रतिनिधित्व असंतुलित है। साथ ही वे हाईकोर्ट जजों की ऑल इंडिया सीनियरिटी लिस्ट में 57वें स्थान पर हैं।

जस्टिस पंचोली का करियर
जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली 21 जुलाई 2024 को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए। इससे पहले 24 जुलाई 2023 को उनका तबादला पटना हाईकोर्ट में हुआ था। उन्होंने 1991 में गुजरात हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की और अपने करियर में सरकारी वकील के रूप में भी काम किया।

सुप्रीम कोर्ट का हालिया बयान
इसी बीच, 21 अगस्त को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने पति-पत्नी के रिश्ते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शादीशुदा जोड़े में अलग रहना असंभव है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को अलग रहना है, तो उसे शादी ही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि झगड़े में बच्चों की कोई गलती नहीं होती।

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