कांग्रेस को लगेगा एक और झटका, बदले बदले हैं राज बब्बर के सुर

कांग्रेस को लगेगा एक और झटका, बदले बदले हैं राज बब्बर के सुर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक और जोर का झटका लगने की आशंका है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता राज बब्बर के सुर इन दिनों पार्टी लाइन से हटकर हैं। राज बब्बर की ओर से कांग्रेस को नई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही में राज बब्बर ने जो ट्वीट किए हैं वह पार्टी लाइन से एकदम अलग नजर आ रहे हैं।

हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद को जब भाजपा नीत सरकार की ओर से पदम भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया तो जयराम रमेश जैसे अन्य पार्टी नेताओं की ओर से उन पर कटाक्ष किया गया था लेकिन राज बब्बर ने गुलाम नबी आजाद को अवार्ड मिलने पर बधाई दी थी।

राज बब्बर ने गुलाम नबी आजाद को बधाई देते हुए लिखा था बधाई हो गुलाब नबी आजाद साहब ! आप एक बड़े भाई जैसे हैं और आपका बेदाग सार्वजनिक जीवन और गांधीवादी विचारों के लिए आप की प्रतिबद्धता एक प्रेरणा है। देश के लिए 5 दशकों तक आपकी सेवा को पदम भूषण पुरस्कार उचित पहचान देता है।

कांग्रेस के असंतुष्ट जी-23 समूह के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद की प्रशंसा करने पर जब राज बब्बर की आलोचना हुई तो उन्होंने ट्वीट करते हुए जवाब दिया कि पुरस्कार की अहमियत तो तब है जब विरोधी पक्ष किसी नेता की उपलब्धियों को सम्मान दें। अपनी सरकार में तो लोग कोई भी ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं। राज बब्बर ने कहा कि पदम भूषण पुरस्कार पर बहस की कोई आवश्यकता नहीं है।

 

राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें गर्दिश कर रही हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज बब्बर अपनी पुरानी पार्टी में लौट सकते हैं। कहा जा रहा है कि राज बब्बर अखिलेश यादव से संपर्क साधे हुए हैं।

बता दें कि बॉलीवुड के इस स्टार अभिनेता ने 1980 के दशक के आखिर में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत जनता दल के साथ की थी। बाद में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे और 1999 तथा 2004 में आगरा से लोकसभा चुनाव जीते हुए संसद पहुंचे थे। 2006 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था जिसके 2 साल बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में पराजय का मुंह देखने वाले राज बब्बर ने 2009 में फिरोजाबाद से उप चुनाव जीता था।

उत्तर प्रदेश में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में राज बब्बर प्रचार में भी कम ही नज़र आए हैं लेकिन हाल ही में कांग्रेस की ओर से जारी की गयी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दमन थामने वाले आरपीएन सिंह का नाम भी इस लिस्ट में था। लिस्ट जारी होने के अगले दिन ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे इस नेता ने भाजपा का दामन थाम लिया था।

पिछले कुछ समय से अपने बड़े नेताओं को संतुष्ट करने में चुनौतियों का सामना कर रही कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबी समूह या “टीम राहुल” में 2020 से ही सेंध लगनी शुरू हो गई थी। पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ कर भाजपा का साथ पकड़ते हुए मध्य-प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरायी तो पिछले साल जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से भाजपा का रुख किया।

बता दें कि साल 2004-2009 में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद तीनों ही केंद्रीय मंत्री रहे थे।

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