कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से पहले कोई इंतेज़ाम नही किए थे। और सरकार मौजूदा संकट की दूसरी लहर के लिए भी तैयार नहीं थी।
पत्र में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि इस तरह के संकट के दौरान लोगों को बीच में छोड़ने के बजाय योगी सरकार को लोगों के कल्याण के लिए कदम उठाने चाहिए थे। उन्होंने आरोप लगाया, “पिछले दो महीनों में हुई तबाही ने साबित कर दिया है कि सरकार के पास लोगों के दर्द को कम करने की कोई योजना नहीं है।”
अपने पत्र में, प्रियंका ने महामारी के दौरान लोगों के दर्द को कम करने के लिए पांच बिंदु भी बताएं हैं।
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि समय के दौरान कई अनावश्यक नियम पेश किए गए, जहां एक तरफ लोग अपनी जान गंवा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ लोगों की नौकरी चली गई और कुछ दूसरों ने अपना व्यवसाय भी खो दिया।
उन्होंने कहा कि खाद्य पर्दाथों के महँगे होने से सबसे ज्यादा नुकसान मध्यवर्गीय परिवारों को हुआ, जबकि लोगों की गाढ़ी कमाई भी चली गई।
उन्होंने पत्र में लिखा, “इन कठिन समय में लोगों को बीच में छोड़ने के बजाय आपकी सरकार को उन लोगों को राहत देनी चाहिए जो कोविड -19 की दूसरी लहर से लड़ रहे हैं।”
प्रियंका ने पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें लोगों को एहसास हो कि उनकी सरकार उनके साथ हमदर्दी कर रही।
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार प्रियंका ने ये भी कहा कि निजी अस्पताल कोविड रोगियों के इलाज के नाम पर जनता को लूट रहे हैं जिससे लोग अपने घर वालों की जान बचाने के लिए कर्ज लेने को मजबूर हैं ऐसे में राज्य सरकार को प्राइवेट अस्पताल के मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए और एक सरकारी प्रतिनिधि को अस्पतालों की निगरानी करनी चाहिए और लोगों को राहत देने के लिए इलाज का शुल्क तय करना चाहिए।
प्रियंका चाहती थीं कि यूपी सरकार जरूरी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी पर लगाम लगाए और बिजली की दरों में बढ़ोतरी न करे।