उत्तराखंड में विजयवर्गीय और निशंक की जुगलबंदी से कांग्रेस सतर्क

उत्तराखंड में विजयवर्गीय और निशंक की जुगलबंदी से कांग्रेस सतर्क

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत ना मिलने की अटकलों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय उत्तराखंड पहुंचे हुए हैं जहां उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक समेत कई अन्य नेताओं से बातचीत की।

उत्तराखंड में कैलाश विजयवर्गीय की बढ़ती सक्रियता एवं निशंक के साथ उनकी जुगलबंदी को देखते हुए कांग्रेस सतर्क हो गई है। कांग्रेस 2016 में भी कैलाश विजयवर्गीय की गतिविधियों के बाद सेंधमारी का शिकार हुई थी। 2016 में हुई सेंधमारी का मुख्य रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय को ही माना जाता है। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत से लेकर अन्य कांग्रेसी नेता विजयवर्गीय पर लगातार निशाना साथ रहे हैं।

राजनीतिक हल्क़ों में अनुमान लगाया जा रहा है कि डॉ निशंक और कैलाश विजयवर्गीय की जुगलबंदी राज्य की सियासत में कोई गुल जरूर खिलाएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पद से निशंक की विदाई के बाद से ही उनकी राजनीतिक सक्रियता को लेकर प्रतीक्षा की जा रही थी। अब मत गणना एवं चुनावी नतीजे आने से ठीक पहले उनकी सक्रियता ने हलचल बढ़ा दी है।

डॉ निशंक चुनावी नतीजे आने से ठीक पहले जिस प्रकार पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व एवं केंद्रीय नेताओं से मिले और उसके बाद राज्यपाल से मुलाकात की उसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के देहरादून पहुंचकर भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री से मुलाकात ने इन अटकलों को और बल दे दिया है।

भाजपा नेताओं की बढ़ती सक्रियता ने कांग्रेस को भी सतर्क कर दिया है। कांग्रेस के सतर्क होने का कारण 2016 में पार्टी में हुई सेंधमारी भी है। कहा जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व नेतृत्व ने निशंक को कोई खास मिशन दिया है जिसमें कैलाश विजयवर्गीय उनका साथ देंगे। विजयवर्गीय ने दावा किया है कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है जिससे कांग्रेस घबरा रही है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के लिए उत्तराखंड में बहुमत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित होगा।

भाजपा सत्ता तक पहुंचने के लिए पार्टी से हटकर अन्य विधायकों पर डोरे डालने की योजना बनाये हुए है। राजनीतिक जानकार जानते हैं कि डॉ निशंक उत्तराखंड की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं, उनके सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। बहुमत ना मिलने की अवस्था में अगर भाजपा को निर्दलीयों एवं अन्य विधायकों का समर्थन चाहिए होगा तो डॉ निशंक बेहतरीन सूत्रधार की भूमिका निभा सकते हैं।

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