चिराग पासवान को लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी किनारे लगाया गया, सियासत ऐसी चीज़ है कि यहाँ पर न भाई, भाई को पहचानता है और न चाचा, भतीजे को । कुछ ऐसा ही हुआ है लोजपा के साथ। रामविलास पासवान के बाद इस पार्टी की बाग़डोर उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ में थी लेकिन उसके बाद रामविलास पासवान के भाई ने पार्टी को अपने हाथ में लेकर चिराग पासवान को पार्टी से किनारे कर दिया था और अब उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार चिराग पासवान की जगह अब सूरजभान को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, सूरजभान पार्टी के नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराएंगे.
खबरों के मुताबिक कहा जा रहा एक व्यक्ति एक पद के नियम के तहत चिराग को हटाया गया है. पांच दिनों के भीतर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला कर नए अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा.
बता दें कि इससे पहले एलजेपी (LJP) ने चिराग पासवान को पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से भी हटा दिया था. लोजपा के 6 सांसद थे, इनमें से पांच ने बगावत कर लोकसभा स्पीकर से इसके लिए गुजारिश की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया.
चिराग के चाचा पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नया नेता चुन लिया गया था जिसके बाद चाचा और भतीजे के बीच सुलह समझौते की सारी संभावनाएं भी खत्म होती नजर आ रही हैं.
माना जा रहा है कि पशुपति कुमार पारस 20 जून से पहले लोक जनशक्ति पार्टी के नए अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे.
पशुपति पारस दिवंगत नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं. लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता बनने के साथ उन्होंने पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत करने के संकेत दिए थे.
स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता भी दे दी है. एलजेपी के पांच सांसदों ने महबूब अली कैसर को उपनेता चुना है. चंदन सिंह को पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया गया है.
लोक जनशक्ति पार्टी में सांसद चिराग पासवान के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले सांसदों में पशुपति पारस के अलावा चंदन सिंह, प्रिंस राज, वीणा देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं.
माना जा रहा है कि पशुपति पारस या एलजेपी के किसी और नेता को मोदी सरकार के संभावित कैबिनेट विस्तार में भी जगह मिल सकती है.