वोट नहीं डालने पर भाजपा ने जयंत सिन्हा को “कारण बताओ” नोटिस जारी किया
रांची। भाजपा ने अपने सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वह झारखंड के हजारीबाग से सांसद हैं। हजारीबाग में पांचवें चरण में सोमवार को मतदान हुआ। जयंत सिन्हा अपना वोट डालने तक नहीं गए। भाजपा ने हजारीबाग में जयंत सिन्हा की जगह मनीष जायसवाल को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद जयंत सिन्हा ने भाजपा प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार नहीं किया। उन्होंने संगठन के काम में भी रुची नहीं दिखाई।
दरअसल, भाजपा ने मनीष जयसवाल को हजारीबाग से लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया था। इस वजह से जयंत सिन्हा नाराज हैं। पूरे चुनाव में वो दूर रहे और पांचवें चरण के मतदान के दौरान सोमवार को हजारीबाग में अपना वोट भी नहीं डाला। जयंत सिन्हा पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। यशवंत सिन्हा पहले ही भाजपा में नहीं हैं। भाजपा ने जयंत सिन्हा पर पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान में दिलचस्पी नहीं लेने का आरोप लगाया है। पार्टी ने उनसे पूछा है कि वो सोमवार को वोट डालने क्यों नहीं गए।
बीजेपी के झारखंड महासचिव आदित्य साहू ने नोटिस में कहा, “आपने अपना वोट डालना भी उचित नहीं समझा। आपके इस व्यवहार से पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है।” जयंत सिन्हा को दो दिन में जवाब देने के लिए कहा गया है। इस बीच भाजपा ने धनबाद विधायक राज सिन्हा को लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार के खिलाफ उनके बयान के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। कुल मिलाकर झारखंड में भाजपा को कई तरफ से बगावत का सामना करना पड़ रहा है। उसका पूरा चुनाव संचालन लड़खड़ा गया है।
जयंत सिन्हा को लेकर भाजपा काफी परेशान है। दरअसल, जयंत के बेटे आशीष सिन्हा ने झारखंड के बरही में इंडिया गठबंधन की एक चुनावी रैली में हिस्सा लिया था। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे। रैली में आशीष सिन्हा ने कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल को अपना समर्थन भी दिया। इसका असर मतदाताओं पर भी पड़ा। इस घटनाक्रम के बाद से ही भाजपा नाराज थी।
पीएम मोदी ने जब जयंत सिन्हा को अपने मंत्रिमंडल से हटाया था, तभी से सिन्हा ने पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दी थी। वो जानते थे कि हजारीबाग सिन्हा खानदान का गढ़ रहा है। इसलिए मार्च में जयंत सिन्हा ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर भाजपा पर अपना दबाव बना दिया। सिन्हा ने भाजपा नेतृत्व से उन्हें चुनावी राजनीति से मुक्त करने का अनुरोध भी किया। जयंत सिन्हा और उनके पिता यशवंत सिन्हा ने 1998 से 26 वर्षों से अधिक समय तक हजारीबाग का प्रतिनिधित्व किया है।