राकेश टिकैत का बड़ा ऐलान अब यूपी से शुरू होगी जंग किसान नेता राकेश टिकैत ने लखीमपुर खीरी कांड पर बयान देते हुए कहा है कि अब किसानों की जंग यूपी से शुरू होगी
राकेश टिकैत के बयान के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि लखीमपुर खीरी में भाजपा नेताओं से टकराव के बाद शुरू होने वाला बवाल अब जल्द थमने की संभावना बहुत कम है।
लखीमपुर खीरी अब जंग का नया मैदान बन सकता है। किसानों के बड़े समूह के साथ किसान नेता राकेश टिकैत दिल्ली बॉर्डर से लखीमपुर खीरी के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों पर हमला किया गया है। किसानों पर फायरिंग की गई है।
भारतीय किसान यूनियन के अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से लखीमपुर खीरी घटना की जानकारी साझा किये जाने के साथ ही खबर दी गयी है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी के बेटे की गाडी से 3 किसानों की मौत हो गई है जबकि किसान नेता तेजेंद्र सिंह घायल हैं। हालांकि अभी तक दो लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत रविवार शाम 5:15 बजे गाजीपुर बॉर्डर से भारी संख्या में अपने समर्थकों के साथ लखीमपुर खीरी की ओर निकल चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने देश के किसानों से अलर्ट पर रहने की अपील की है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए लखीमपुर खीरी के लिए रवाना होने से पहले राकेश टिकैत ने कहा कि किसान वापस पलट रहे थे उन पर गाड़ियों से हमला किया गया। उन पर फायरिंग की गई। कई किसानों की मौत की खबर आ रही है। हम लखीमपुर खीरी के लिए निकल रहे हैं। रात 12-1 बजे तक वहां पहुँच सकते हैं और पीड़ित किसानों के बीच जाएंगे और उनकी बात को सबके सामने रखेंगे।
इससे पहले हैदराबाद में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए राकेश टिकैत रविवार को ही गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचे थे जहां उन्हें इस दुर्घटना की खबर मिली जिसके बाद उन्होंने आपात बैठक बुलाई और वरिष्ठ किसान नेताओं से बातचीत की। किसान नेताओं की मीटिंग के बाद आनन-फानन में गाड़ियां तैयार करते हुए लखीमपुर खीरी के लिए क़ाफ़िला निकल गया है।
गाजीपुर माहौल गरमाया तो कई थानों की पुलिस धरना स्थल पर पहुंच गई। लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुई बर्बरता और किसानों की मौत के बाद देशभर के किसानों में गुस्सा है।
गाजीपुर बॉर्डर से किसान प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि मंत्री के बेटे ने किसानों को रौंदा। इसमें कुछ किसान शहीद हुए हैं। यह भारत के इतिहास में इस तानाशाह सरकार का सबसे बड़ा प्रमाण है। लोकतांत्रिक तरीके से किसी को आंदोलन करने का भी अधिकार इस सरकार में नहीं है। सभी किसान अपने-अपने क्षेत्र में अलर्ट रहें। संयम बनाए रखें। एसकेएम की जो कॉल आएगी, उसका पालन करें।