ऑस्ट्रेलिया ने ईरान पर यहूदी-विरोधी हमलों के निर्देशन करने का आरोप लगाया
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने देश में कम से कम दो यहूदी-विरोधी हमलों को ईरान द्वारा निर्देशित बताया और घोषणा की कि, ईरान के राजदूत को कैनबरा से निष्कासित किया जाएगा। ईरान पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने ऐसे समय पर आरोप लगाया है जब ऑस्ट्रेलिया में फिलिस्तीन के समर्थन में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारियों ने आस्ट्रेलियाई सरकार से भी अपील की है कि, इज़रायल पर तुरंत प्रतिबंध लगाए जाएं। प्रदर्शनकारियों ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से साफ़ कहा कि अब सिर्फ़ निंदा काफी नहीं है, इज़रायल पर वास्तविक प्रतिबंध लगाए जाएं।
मंगलवार को कैनबरा में पत्रकारों से बातचीत में अल्बनीज़ ने कहा कि सिडनी और मेलबर्न में पिछले साल हुए ये हमले “एक विदेशी राष्ट्र द्वारा रची गई असाधारण और खतरनाक आक्रामकता” हैं, जिनका उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया की सामाजिक एकता को कमजोर करना था। उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल अस्वीकार्य है, और ऑस्ट्रेलियाई सरकार मजबूत और निर्णायक कार्रवाई कर रही है। थोड़ी देर पहले हमने ऑस्ट्रेलिया में ईरानी राजदूत को सूचित किया कि उन्हें निष्कासित किया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि, ऑस्ट्रेलिया ने तेहरान स्थित अपने दूतावास का संचालन निलंबित कर दिया है और सभी राजनयिकों को एक तीसरे देश में स्थानांतरित कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि, सरकार ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को “आतंकी संगठन” घोषित करने के लिए कानून लाएगी। प्रश्न यह उठता है कि, क्या कोई देश, किसी दुसरे देश की सेना को आतंकी संगठन घोषित कर सकता है ? विश्लेषकों के अनुसार, आस्ट्रेलियाई सरकार इस आरोप के ज़रिए इज़रायल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन से ध्यान भटकाना चाहती है।
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के अनुसार ये हमले 10 अक्टूबर को सिडनी के लुईस कॉन्टिनेंटल किचन और 6 दिसंबर को मेलबर्न के अदास इज़राइल सिनेगॉग पर हुए थे। दोनों घटनाओं में हमलावरों ने इमारतों में आग लगाई, जिससे भारी नुकसान हुआ, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ।
विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने बताया कि ईरानी राजदूत अहमद सादेगी और उनके तीन सहयोगियों को “पर्सोना नॉन ग्राटा” घोषित किया गया है और उन्हें सात दिन में देश छोड़ने को कहा गया है। यह कदम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार है जब ऑस्ट्रेलिया ने किसी राजदूत को निष्कासित किया है।
ऑस्ट्रेलियाई खुफिया संगठन (ASIO) के प्रमुख माइक बर्गेस ने कहा कि कैनबरा स्थित ईरानी राजनयिक सीधे इन हमलों में शामिल नहीं थे, लेकिन जांच से पता चला है कि आईआरजीसी ने “कई परोक्ष माध्यमों” के जरिये ऑस्ट्रेलिया में लोगों को इन अपराधों को अंजाम देने के लिए निर्देशित किया। बर्गेस ने यह भी कहा कि, इज़राइल-ग़ाज़ा युद्ध (अक्टूबर 2023) के बाद से हुए अन्य यहूदी-विरोधी हमलों में आईआरजीसी की संभावित संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ऑस्ट्रेलिया और इज़राइल के संबंध ग़ाज़ा में युद्ध और अकाल को लेकर ऑस्ट्रेलियाई आलोचना तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ़िलिस्तीन राज्य की मान्यता देने के निर्णय के बाद बिगड़ गए हैं।
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में अल्बनीज़ को “कमज़ोर राजनेता जिसने इज़रायल के साथ विश्वासघात किया और ऑस्ट्रेलिया के यहूदियों को छोड़ दिया” कहा था। इस पर ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री टोनी बर्क ने पलटवार करते हुए कहा कि ताक़त का मापदंड “यह नहीं है कि आप कितने लोगों को मार सकते हैं या कितने बच्चों को भूखा छोड़ सकते हैं।”
ऑस्ट्रेलिया ने इज़रायली अतिदक्षिणपंथी नेता सिमचा रोथमन का वीज़ा भी रद्द कर दिया, जिनकी देश में प्रस्तावित यात्रा को “विभाजन फैलाने” वाली बताया गया। इसके जवाब में इज़रायल ने ऑस्ट्रेलियाई राजनयिकों के फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के वीज़ा रद्द कर दिए।


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