हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव विधानसभा से पास
हिमाचल प्रदेश में आज बीजेपी ने उस समय एक नई इबारत लिख दी, जब राज्य के लोगों की दुहाई देते हुए भी वह राज्य के लोगों के ही खिलाफ खड़ी नजर आई और प्रदेश में आई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल आपदा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए हर प्रकार की सहायता का आश्वासन दे चुके हैं।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज राज्य में भारी बारिश से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया। साथ ही सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने केंद्र से 12000 करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की जिससे राज्य को आपदा से उबारने में मदद मिल सके।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का यह मानसून सत्र इस मायने में ऐतिहासिक है कि राज्य सदी की सबसे भीषण आपदा से जूझ रहा है। देवभूमि के लोग विधानसभा की तरफ देख रहे थे। लोगों को उम्मीद भी कि सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष भी इस विपदा की घड़ी में उनके साथ खड़ा नजर आएगा, लेकिन बीजेपी के स्टैंड ने राज्य के लोगों को हैरत में डाल दिया है।
लोगों को यह नहीं समझ में आया कि देवभूमि में आई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर देने में बीजेपी को क्या तकलीफ है। सत्ता पक्ष के विधायकों और मंत्रियों ने बीजेपी को बार-बार यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं। बावजूद इसके बीजेपी अपने स्टैंड से नहीं हिली।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री को हिमाचल के पकवान याद रहते हैं। मगर, जब राज्य में आपदा की घड़ी आई तो प्रधानमंत्री को प्रदेश की याद नहीं आई। इसके बावजूद कि प्रदेश सदी की सबसे भीषण तबाही से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार हिमाचल को सता रही है।
केंद्र ने नुकसान के आकलन के लिए टीमें भी भेजीं। आकलन भी कराया, लेकिन मदद के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं आया। उन्होंने कहा कि विपक्ष कह रहा है कि केंद्र ने हेलीकॉप्टर दिए, लेकिन इन हेलीकॉप्टर का किराया तो हमने दिया है। केंद्र ने हेलीकॉप्टर मुफ्त में नहीं दिए। अब तक जो भी आर्थिक सहायता के नाम पर केंद्र से आया है वह डिजास्टर फंड के तहत आया है, जो सभी राज्यों को मिलना तय था।