असम सरकार, मुसलमानों को उजाड़कर अदालत के आदेश की भी अवहेलना कर रही है: बदरुद्दीन अजमल

असम सरकार, मुसलमानों को उजाड़कर अदालत के आदेश की भी अवहेलना कर रही है: बदरुद्दीन अजमल

अतिक्रमण के नाम पर असम सरकार द्वारा जारी विध्वंसात्मक कार्रवाई पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने हेमंत बिस्वा सरमा सरकार की कड़ी निंदा करते हुए उसे जिद्दी करार दिया, और कहा कि सरकार मुसलमानों के घरों को ध्वस्त करने और उन्हें बेघर करने पर आमादा है।

बुधवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि, “यह सरकार गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ाने में कोई झिझक महसूस नहीं कर रही है। ऐसा लगता है कि असम सरकार के प्रमुख हेमंत बिस्वा सरमा खुद को तानाशाह समझने लगे हैं, जिनके लिए इस लोकतांत्रिक देश का कानून और अदालत का आदेश कोई मायने नहीं रखता है, इसलिए ऐसे व्यक्ति को सरकार में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है, उसे तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।”

मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने यह बातें उस संदर्भ में कही हैं कि असम सरकार लगातार मुस्लिम बहुल गांवों के लोगों को बेघर कर रही है। हालांकि इस कार्रवाई की चपेट में कुछ गैर-मुस्लिम घर भी आ रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार मुस्लिम बहुल गांवों को बेदखली के नाम पर निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बेघर लोगों को घर मुहैया कराए, लेकिन असम सरकार गरीबों को बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था दिए बेघर करने में लगी है और इसे लेकर गर्व महसूस कर रही है, जो कि शर्मनाक है।

उन्होंने कहा कि, “मज़लूमों की आह ने बड़े-बड़े तानाशाहों के पतन की नींव रखी है, इसलिए इस सरकार का भी अंत होगा और अत्याचारी अपनी सजा अवश्य भुगतेगा।”एआईयूडीएफ प्रमुख ने कहा कि कामरूप जिले के सोनापुर गांव में बेदखली का विरोध कर रहे दो मुस्लिम युवकों की पुलिस फायरिंग में मौत का मामला सभी के सामने है, लेकिन सरकार अपनी ज़िद से पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है। अब सरकार ने गोलपाड़ा जिले के लखीपुर सर्कल में स्थित बंदरमाथा गांव, जहां लगभग दो हजार लोगों की आबादी है, और इसी तरह अशुडोबी गांव, जहां लगभग सात हजार लोगों की आबादी है, इन सभी लोगों को नोटिस भेजकर आदेश दिया है कि वे सभी अपने घर और गांव खाली कर दें।”

उन्होंने आगे कहा, “इस मामले में प्रभावित लोगों ने गुवाहाटी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 18 सितंबर 2024 को अपने फैसले में स्पष्ट रूप से सरकार को आदेश दिया है कि अगर वन विभाग की जमीन किसी के कब्जे में है तो अधिकारी उसे खाली करा सकते हैं, लेकिन अगर वह सरकारी जमीन है, तो उसे अगली सुनवाई यानी 2 दिसंबर 2024 तक यथावत रहने दिया जाए।”

इस सिलसिले में मेरी हिदायत पर जमीयत उलेमा असम के एक प्रतिनिधिमंडल ने गोलपाड़ा के जिला आयुक्त से मुलाकात की और लोगों को बेदखल करने की प्रक्रिया को तुरंत बंद करने की मांग की। इसके बाद राज्य के राज्यपाल से भी मिलकर एक ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से सभी तथ्यों को बताया गया है कि जिन्हें उजाड़ने के लिए सरकार जल्दबाज़ी कर रही है, वे सभी भारतीय नागरिक हैं।

मौलाना ने बताया कि इन सभी के पास अपनी नागरिकता के दस्तावेज़ मौजूद हैं, उनके नाम 1951 के एनआरसी में दर्ज हैं, मतदाता सूची में भी उनके नाम मौजूद हैं, उनके पास बिजली का बिल है, और इन दोनों गांवों में 1965, 1978 और 1980 में स्थापित सरकारी स्कूल और उपासना स्थल भी हैं।

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