तीनों कृषि क़ानून किसानों के लिए डेथ वारंट हैं: राकेश टिकैत

तीनों कृषि क़ानून किसानों के लिए डेथ वारंट हैं: राकेश टिकैत, जिन्हें कल तक दाता कहा जाता था आज लगभग 7 महीने होने वाले हैं अपनी मांग लिए दिल्ली के बार्डर वाले इलाक़ों में बैठे हैं।

ख़ुद को किसानों का हमदर्द बताने वाली BJP ने किसानों की फ़सल की ख़रीद को लेकर कुछ ऐसे क़ानून बनाए हैं जिससे देश के अन्न दाता नाराज़ हैं।

पिछले लगभग 7 महीनों से देश का किसान आंदोलन कर रहा है लेकिन BJP किसानों की एक भी बात मानने को तैयार नहीं है, यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा कि किसानों की समस्या के समाधान में बस एक कॉल की दूरी है।

लेकिन तब से अब तक 4 महीने हो गए लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री जी को एक कॉल का समय नहीं मिला, जबकि Covid-19 की इस महामारी के हालात में किसान अपने हक़ के लिए घरों से दूर ठंडी गर्मी बारिश का सामना कर रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसान आंदोलन को देश की जनता, सेलिब्रिटी समेत विदेश की कई नामवर हस्तियों का भी साथ मिला है, विदेशी हस्तियों और कई मीडिया से जुड़े लोगों और न्यूज़ पेपर वालों ने भी किसानों के मामले को अपनी चर्चाओं में शामिल किया है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि किसानों के मना करने के बावजूद BJP कृषि क़ानून के फ़ायदे बताने पर अड़ी हुई है, कई किसान नेताओं ने यह कहा भी कि यह किसानों का कैसा फ़ायदा है जिसे ख़ुद सालों से किसानी करते चले आ रहे किसान नहीं समझ पा रहे हैं।

कृषि क़ानून को लेकर बने इसी माहौल को चलते किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा कि तीनों काले कृषि क़ानून किसानों के लिए डेथ वारंट हैं, यानी BJP द्वारा इन क़ानूनों के बताए जाने वाले फ़ायदे साफ़ झूठ और फ़्रॉड है, इन क़ानूनों का मतलब किसानों की मौत है और कुछ नहीं।

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