एम्स का पैनल तय करेगा, केजरीवाल को इंसुलिन दी जाए या नहीं: कोर्ट
दिल्ली: शराब नीति केस में 1 अप्रैल से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट से झटका लगा। उन्हें डॉक्टर से रोज 15 मिनट परामर्श की इजाजत नहीं मिली। CM ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डायबिटीज की रेगुलर जांच, कंसल्टेंशन और इंसुलिन की मांग की थी।
दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि एम्स का पैनल ये तय करेगा उन्हें इंसुलिन दी जाए या नहीं। सीएम केजरीवाल के स्वास्थ्य की जांच के लिए एम्स डायरेक्टर के नेतृत्व में पैनल गठित किया। केजरीवाल की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। ED ने 18 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट से कहा था कि जेल में केजरीवाल जानबूझकर आम और मिठाई खा रहे हैं, ताकि उनका शुगर लेवल बढ़े और उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिल जाए। कोर्ट ने ED से इस पर जवाब मांगा था।
सीएम केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति मामले में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें 21 मार्च को पूछताछ के बाद ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। सीएम केजरीवाल ने अपनी याचिका मे मांग की थी कि पत्नी की मौजूदगी मे उन्हें डॉक्टर से नियमित 15 मिनट की मुलाकात की इजाजत दी जाए।
उधर दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार को 15 मई के लिए सूचीबद्ध कर दी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने एजेंसी की ओर से सौंपे गए जवाब पर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है।
जेल अधीक्षक को लिखे पत्र में सीएम केजरीवाल ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव में जेल प्रशासन झूठ बोल रहा है। तिहाड़ प्रशासन ने रविवार को एक बयान में कहा था कि उन्होंने 20 अप्रैल को केजरीवाल की एम्स के सीनियर एक्सपर्ट के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था की थी जिस दौरान ना तो सीएम केजरीवाल ने इंसुलिन का मुद्दा उठाया और ना ही डॉक्टरों ने ऐसी कोई सलाह दी।
इससे पहले सुबह हाईकोर्ट ने उनसे जुड़ी 2 याचिकाओं पर सुनवाई की। पहली- हाईकोर्ट ने जमानत के लिए दायर की गई जनहित याचिका खारिज कर दी। याचिका ‘वी द पीपुल ऑफ इंडिया’ के नाम से एक लॉ स्टूडेंट ने लगाई थी। केजरीवाल की ओर से एडवोकेट राहुल मेहरा ने कहा- सभी मामलों में असाधारण जमानत दें। ऐसी अपील कैसे की जा सकती है। यह पूरी तरह से पब्लिसिटी के लिए दायर की गई याचिका है।
इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, ‘मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पूरी सरकार रुक गई है। वे सरकार के मुखिया हैं। कोर्ट ने कहा- राहुल मेहरा CM की ओर से पेश हुए हैं। उनका कहना है कि वे अपना काम कर रहे हैं। उन्हें आपसे कोई मदद नहीं चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने 75 हजार का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।’