“अडानी ने चैनल खरीद लिया लेकिन रवीश कुमार को नहीं खरीद सके”। सोशल मीडिया पर रवीश कुमार पर लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया”
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता देश के जाने-माने पत्रकार रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा देकर पूंजीपतियों और राजनीति के गठजोड़ के खिलाफ साहस का परिचय दिया है। इस समय देश के सबसे बड़े उद्योगपति गौतम अडानी द्वारा एनडीटीवी को खरीदे जाने के बाद उन्होंने एनडीटीवी से इस्तीफा देकर अपने समर्थकों और प्रशंसकों की संख्या में और ज़्यादा इज़ाफ़ा कर दिया।
वह गुरुवार को दिन भर सोशल मीडिया पर अपनी ईमानदारी और साहस के दम पर ट्रेंड होते रहे। वहीं, ट्विटर पर उनके नाम से हैशटैग चल रहा था जिसमें उनके सैकड़ों प्रशंसकों ने न केवल ट्वीट किया बल्कि उनके साहस और बहादुरी को सलाम भी किया। वहीं रवीश ने यूट्यूब पर अपना चैनल भी लॉन्च किया, जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफे की बात कही और पत्रकारिता के मौजूदा तरीक़ों पर चर्चा की। रवीश कुमार ने अपने यूट्यूब चैनल पर लगभग 25 मिनट के शो में न केवल एनडीटीवी छोड़ने के अपने कारणों को प्रस्तुत किया, बल्कि पत्रकारिता के उसूलों के साथ समझौता किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की।
रवीश कुमार ने कहा कि मैं आज एनडीटीवी के माध्यम से आपको संबोधित नहीं कर रहा क्योंकि मैंने चैनल से इस्तीफा दे दिया है।” रवीश के मुताबिक, इस्तीफा देने के कारण आप सभी जानते हैं, लेकिन मैं इसके विस्तार में अभी नहीं जाऊंगा। एनडीटीवी के बारे में फिर कभी चर्चा होगी, लेकिन मैं इसे स्पष्ट करना चाहता हूं, कि मैं यहां बहुत निचले स्तर से आया हूं। रवीश ने कहा कि मैं शुरुआत में एनडीटीवी ऑफिस में सॉर्टर का काम करता था। उसके बाद मुझे रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी दी गई फिर मैं धीरे-धीरे वहां पहुंचा जहां आप सबने मुझे अपना चहेता बना लिया।
रवीश ने कहा कि मेरा इस्तीफा दिखाता है कि मैं गोदी मीडिया के वर्चस्व को स्वीकार नहीं करता और मैं आप सभी से भी इसे स्वीकार नहीं करने की अपील करता हूं। इस देश में विपक्ष की आवाज और असहमति को खत्म करने के लिए जिस तरह से मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह देश के लोकतंत्र के लिए जानलेवा जहर साबित होगा। इसलिए मैं देश के गंभीर दर्शकों से अपील करता हूं कि वे ऐसे समाचार चैनलों का समर्थन करते रहें जो सच दिखाने का साहस रखते हैं। अपने इस्तीफे पर उन्होंने भावुक अंदाज में कहा कि जिस चैनल से मैं करीब 26 साल जुड़ा रहा, उसे अलविदा कहना मेरे लिए आसान नहीं था।
उधर, रवीश के इस्तीफे की खबर से बुधवार शाम से ही सोशल मीडिया पर उनका नाम ट्रेंड कर रहा था, वहीं गुरुवार को ट्विटर पर उनके नाम से हैशटैग शुरू हो गया, जो दिनभर ट्रेंड करता रहा. इस हैशटैग के तहत रवीश कुमार के सैकड़ों प्रशंसकों और दर्शकों ने उनसे पत्रकारिता जारी रखने की अपील की। जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, “एक युग का अंत हो गया, एनडीटीवी को खरीदने वाले रवीश को नहीं खरीद सके।” उनके इस हौसले को सलाम, और उनके यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।’
उन्होंने आगे कहा कि यह रवीश की प्रतिभा ही थी कि उन्होंने पत्रकारिता के ऐसे मानक स्थापित किए कि गोदी मीडिया का कोई एंकर चलने की सोच भी नहीं सकता था यहां तक कि दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी की मदद से भी पार्टी रवीश कुमार को खरीद नहीं पाई। आज उनकी लाचारी साफ नजर आएगी। इन ट्वीट्स को तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस के सोशल मीडिया कन्वेनर वाई सतीश रेड्डी ने भी ट्वीट किया था।
उन्होंने लिखा है कि “रवीश कुमार ने इस्तीफा देकर जो साहस दिखाया है, वह गोदी मीडिया के ‘दलालों’ में नदारद है। रवीश ने यह कदम उठाकर हमारी आंखों में अपना कद ऊंचा किया है। पत्रकार मंगेश भालीराव ने ट्वीट किया, “अडानी में अभी पूरा देश खरीदने की ताकत है ,लेकिन वे एक रवीश कुमार को नहीं खरीद सकते। इससे पता चलता है कि सच कितना मजबूत होता है और झूठ बड़ा दिखता ज़रूर है लेकिन मकड़ी के जाले से भी ज़्यादा कमजोर होता है।