“आप” रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी: केजरीवाल

“आप” रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी: केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से बीजेपी के प्रवेश वर्मा से चुनाव हार गए। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 14 राउंड की गिनती के बाद प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4,089 वोटों से हराया। कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4,568 वोट मिले। कांग्रेस किसी भी सीट पर बढ़त बनाने में असफल रही। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की बहुमत की जरूरत है।

केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार स्वीकार कर ली है। एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “जनता का फ़ैसला सर माथे पर। हम पूरी विनम्रता से अपनी हार स्वीकार करते हैं। मैं बीजेपी को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि जनता ने जिन उम्मीदों के साथ उन्हें चुना है वो उन उम्मीदों को पूरा करेंगे।

केजरीवाल ने आगे कहा, “जनता ने हमें 10 सालों तक जो मौक़ा दिया उसमें हमने काफ़ी काम करने की कोशिश की। शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने की कोशिश की। हम आगे भी जनता के लिए काम करते रहेंगे और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।

2020 का चुनाव किसने जीता था?
2020 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के सुनील कुमार यादव को 21,687 वोटों के अंतर से हराया था और एएपी को जीत दिलाई थी। नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र, व्यापक नई दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, जहां 2024 के आम चुनाव में बीजेपी की बांसुरी स्वराज ने निर्णायक जीत दर्ज की थी और आप के सोमनाथ भारती को 78,370 वोटों से हराया था।

केजरीवाल ने 2013 से यह सीट संभाली थी, जब उन्होंने कांग्रेस की अनुभवी नेता शीला दीक्षित को 25,000 से अधिक वोटों से हराकर सुर्खियां बटोरी थीं। 2015 में, उन्होंने बीजेपी की नूपुर शर्मा और कांग्रेस की किरण वालिया को लगभग 32,000 वोटों के अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी थी।

बीते वर्षों में बीजेपी और कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा है?
बीजेपी, जिसने 1977 के बाद से नई दिल्ली सीट नहीं जीती है, इस हाई-प्रोफाइल मुकाबले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर मजबूत संदेश देना चाहती थी। कांग्रेस के लिए यह चुनाव प्रतीकात्मक रूप से अहम था, क्योंकि संदीप दीक्षित की मां, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, इस सीट पर केजरीवाल से हार चुकी थीं। कांग्रेस और आप के पूर्व गठबंधन के बावजूद, संदीप दीक्षित केजरीवाल के कट्टर आलोचक रहे हैं और अपनी मां की हार का बदला लेने की कोशिश कर रहे थे।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 26 साल से अधिक समय बाद राष्ट्रीय राजधानी में उसकी सत्ता में वापसी की है। इस बीच, कांग्रेस, जिसने 2013 तक लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली में शासन किया था, पिछले दो चुनावों में एक भी सीट न जीत पाने के बाद अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसे, इसमें सफलता नहीं मिल सकी।

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