50 लाख लेकर फ़र्ज़ी वोटर ID बना रहा था एक गिरोह, यूपी चुनाव में धांधली की थी तैयारी?

50 लाख लेकर फ़र्ज़ी वोटर ID बना रहा था एक गिरोह, यूपी चुनाव में धांधली की तैयारी थी?

देश में चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद कई बार ईवीएम हैक होने का मुद्दा उठ चुका है। जिसे सरकार द्वारा झुठलाया जाता रहा है। जब भी इस तरह का मुद्दा हुआ सरकार ने इस मामले पर आकर सफ़ाई दी कि ईवीएम को न हैक किया गया है और न ही इसको हैक किया जा सकता। है हालाँकि विपक्षी दलों ने ईवीएम हैक के सबूत भी पेश किए हैं।

बता दें कि देश में चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक किए जाने का मामला तूल पकड़े हुए हैं। बीते दिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने विपुल सैनी नाम के युवक को गिरफ्तार किया है। जिस पर चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पासवर्ड के जरिए लॉगिन कर 10 हजार से ज्यादा वोटर कार्ड बनाए जाने के आरोप लगे हैं।

गिरफ्तार किए गए युवक से जब पूछताछ की गई तो ये बात सामने आई कि विपुल सैनी भाजपा शासित मध्यप्रदेश के हरदा निवासी अरमान मलिक के इशारे पर काम कर रहा था। और इस काम के लिए अब तक विपुल सैनी को 50 लाख रुपए दिए जा चुके हैं। इससे ये बात समझ आती है कि विपुल सैनी ये काम अकेले नहीं कर रहा है बल्कि उसके साथ एक बड़ा गिरोह काम कर रहा था।

बता दें कि चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक कर वोटर आईडी कार्ड बनाने का फर्जीवाड़ा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि कई राज्यों में फैला हुआ है। विपुल सैनी के पीछे कई बड़े मास्टरमाइंड बताए जाते हैं।

बताया जा रहा है कि वोटर कार्ड बनाए जाने का यह फर्जीवाड़ा काफी लंबे समय से चल रहा था। लेकिन अब तक इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव आयोग और सरकार द्वारा इस मामले में चुप्पी क्यों साधे रखी गई है। दरअसल यह कोई साधारण मामला नहीं है। बल्कि संगीन अपराध है।

गौरतलब है कि अगले साल 2022 में देश के कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले हुए इस फर्जीवाड़े के खुलासे पर जिस स्तर की जांच होनी चाहिए, वो क्यों नहीं की जा रही है?

अगर जाँच न की गई और ये फर्जीवाड़ा लंबे समय से चल रहा है। तो देश की चुनाव प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में आती है।

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