शिक्षकों ने बच्चों के साथ मनाई ‘काली दिवाली’

शिक्षकों ने बच्चों के साथ मनाई ‘काली दिवाली’

ग़ैर सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक पिछले 10 अक्टूबर से आजाद मैदान में अनुदान व अन्य शैक्षणिक व वित्तीय मुद्दों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हालांकि, इस संबंध में पिछले सप्ताह इन स्कूलों के शिक्षक संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपमुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने एक माह के भीतर उपरोक्त समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया है इसके बावजूद भी ग़ैर सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों ने आजाद मैदान में धरना जारी रखा है।

इस संबंध में मराठवाड़ा, अकोला, बालापुर, नांदेड़ और अन्य जिलों के हजारों शिक्षकों ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और ‘काली दिवाली’ मनाई। विभिन्न जिलों के शिक्षकों ने अपने बच्चों के साथ विरोध में भाग लिया। इन बच्चों ने अपने माता-पिता की आर्थिक समस्याओं का वर्णन किया उनके माता-पिता और अभिभावकों की आर्थिक समस्याओं ने , प्रतिभागियों की आंखें नम कर दीं। हड़ताल में शामिल सह-शिक्षक गुलाब पाल ने कहा, “आज जब पूरी दुनिया अपने घरों में मोमबत्तियां जला रही है और मिठाई खा रही है, महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई में महाराष्ट्र के शिक्षक काली दिवाली मनाने के लिए मजबूर हैं। यह इस देश का दुर्भाग्य है।

बताया जाता है कि पिछले 20 साल से बिना वेतन के काम कर रहे शिक्षक दीपावली के मौके पर उपवास कर दिन गुजार रहे हैं. एक तरफ विधानसभा के सदस्यों को 80.80 लाख रुपये का तोहफा दिया जाता है. काजू, बादाम और पिस्ता दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर उन्हें शिक्षा देने वाले शिक्षक वेतन को लेकर आजाद मैदान में धरना दे रहे हैं।

इस देश के मीडिया को भी शर्म आनी चाहिए जो शिक्षकों की दुर्दशा नहीं देख सकता।यदि आज कोई शिक्षकों की समस्याओं और कठिनाइयों का अनुमान लगाना चाहता है तो वह आजाद मैदान मेंआकर देखें कि शिक्षक कैसे काली दिवाली मना रहे हैं और उनके बच्चे कैसे दिवाली की खुशियों से वंचित हैं।

अकोट जिले के एक स्कूल के शिक्षक नईमुल्लाह ने कहा, ‘अनएडेड स्कूलों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का पिछले 15 दिनों से आजाद मैदान में धरना चल रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक हमारे बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। इस वजह से हमारी हताशा बढ़ती जा रही है। इसी वजह से सोमवार को मराठवाड़ा, अकोला, बालापुर, नांदेड़ समेत अन्य जिलों के हजारों शिक्षकों ने आंदोलन में हिस्सा लेकर काली दीपावली मनाई. सोमवार को आजाद मैदान में प्रदर्शनकारियों की संख्या करीब 4 से 5 हजार थी, जो सामान्य दिनों की तुलना में दोगुनी थी. दिवाली जैसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहार के अलावा, महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से शिक्षक काली दिवाली मनाने के लिए यहां आए हैं।

इनमें महिला शिक्षकों की संख्या अधिक थी। इनमें से अधिकतर शिक्षक अपने बच्चों को साथ लेकर आए थे। काली दिवाली मनाने वाले प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे भी लगाए । आजाद मैदान में यह प्रतिज्ञा भी ली गयी कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती हैं, वह हड़ताल ख़त्म नहीं करेंगे ।

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