बिहार: नीतीश कुमार ने छोड़ा भाजपा का साथ, थामा तेजस्वी का हाथ
बिहार: बिहार के सियासत ने एक नया रुख मोड़ ले लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है। शाम को तकरीबन चार बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। अब वो लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के साथ मिलकर एक दूसरी गठबंधन सरकार बनाएंगे।
हालांकि पिछले काफी अरसे से भाजपा से उनकी दोस्ती में दरार देखी जा रही थी। लेकिन आज नीतीश कुमार ने अपने सांसदों व विधायकों की बैठक में इस बात पर मुहर लगायी है कि जो फैसला वो करेंगे वो पार्टी के सभी सदस्यों को मंजूर होगा। उसके बाद ही भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन को तोड़ने का ऐलान किया।
हालांकि जैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा दिया तो उसे तत्काल स्वीकार कर लिया गया। उसके बाद उन्होंने तेजस्वी यादव के साथ एक नई सरकार बनाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि उनके साथ 160 विधायकों का समर्थन है। नीतीश कुमार ने इस्तीफ़ा देने के साथ ये भी कहा कि उन्होंने एनडीए छोड़ दिया है।
बता दें कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद के इस्तीफे को लेकर भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। 2024 की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी को बिहार के इस बदलते सियासत से बड़ा धक्का लगा है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय से नीतीश कुमार की जगह भाजपा का सीएम बनाने की मांग कर रहे भारतीय जनता पार्टी के नेता आज मुंह छिपाते फिर रहे हैं। बिहार राज्य से 40 सांसद लोकसभा में पहुंचते हैं। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने आशातीत सफलता हासिल की थी।
सूत्रों से पता चला है कि भाजपा और जदयू के गठबंधन सरकार के टूटने से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी से फ़ोन पर बात की थी। दोनों नेताओं के बीच काफ़ी समय तक बातचीत हुई। बताया जा रहा है कि पिछले 15 दिनों में नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से तीन बार बात की है।
राजनीतिक गलियारों के विशेषज्ञों का कहना है कि फ़िलहाल हालात को देखते हुए नितीश कुमार को ऐसा लगने लगा था कि कहीं उनकी हालत भी महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे जैसा न हो जाए और उनकी पार्टी के नेता उनके हाथ से न निकल जाएं।