पांच राज्यों में होने वाले चुनाव की कमान खड़गे ने अपने हाथों में ली
चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने और दलित मतदाताओं को साधने के लिए खुद कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में उतर गए है। आने वाले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनावी सभा करेंगे। वहीं राज्यों के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति भी तैयार करेंगे।
कांग्रेस पार्टी ने चुनावी राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में तैयारियां शुरु कर दी है। हाल ही में संसद सत्र के खत्म होने के बाद खरगे छत्तीसगढ़ में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष 18 अगस्त को तेलंगाना, 22 अगस्त को मध्य प्रदेश और 23 अगस्त को राजस्थान का दौरा करेंगे। वे इन राज्यों में रैलियां कर चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे।
कांग्रेस पार्टी विश्वस्त सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि पार्टी अध्यक्ष खरगे छत्तीसगढ़ के बाद 18 अगस्त को तेलंगाना पहुचेंगे। वे जहीराबाद में एक रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस 2019 में जहीराबाद लोकसभा सीट पर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से 5,000 से अधिक वोटों से हार गई थी। बीआरएस का इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी सात विधानसभा सीटों पर कब्जा है।
जहीराबाद विधानसभा सीट समेत दो अन्य सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। तेलंगाना के बाद वे 22 अगस्त को मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के सागर में जनसभा को संबोधित करने पहुंचेंगे। 23 अगस्त को खरगे राजस्थान के जयपुर भी जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यालय मिजोरम के साथ भी समन्वय कर रहा है। लेकिन वहां बारिश के कारण बैठक और सभा की तारीख तय नहीं हो पा रही है।
13 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में आयोजित ‘भरोसे का सम्मेलन’ में शामिल होने पहुंचे थे। यह उनका दूसरा दौरा था। इससे पहले वे फरवरी में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने रायपुर पहुंचे थे। दरअसल, खरगे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ ही पार्टी के बड़े दलित चेहरे है। इसलिए कांग्रेस उनके सहारे चुनावी राज्यों में दलित मतदाताओं को साधने में लगी हुई है।
इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी दलित बाहुल्य क्षेत्र में उनकी रैली आयोजित करने जा रही है। छत्तीसगढ़ में खरगे की रैली जांजगीर-चांपा जिले में हुई थी। इस जिले की ज्यादातर सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां भाजपा के साथ साथ बहुजन समाज पार्टी का भी प्रभाव है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक कांशीराम ने अपना पहला लोकसभा चुनाव यहीं से लड़ा था। अविभाजित जांजगीर जिले की 6 में सिर्फ 2 सीट पर कांग्रेस विधायक हैं। बाकी दो सीट पर बीजेपी और दो सीटों पर बसपा के विधायक हैं।
पार्टी ने अनुसूचित जाति वर्ग का समर्थन हासिल करने के लिए खरगे की सभा आयोजित की थी। इसी क्षेत्र में एससी वर्ग को साधने की कोशिश बीजेपी भी कर रही है लेकिन बीजेपी की सभा से पहले कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की सभा करवा कर यह साबित कर दिया कि ये सीटें उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
मध्यप्रदेश में दलित वोट बैंक को अपनी तरफ लाने के लिए कांग्रेस-भाजपा जोर लगा रही है। खास बात यह है कि दोनों ही पार्टियों ने इसके लिए बुंदेलखंड को चुना है। हाल ही में 12 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने सागर पहुंचकर 100 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले संत रविदास मंदिर का भूमिपूजन कर जनसभा को संबोधित किया था। अब कांग्रेस मल्लिकार्जुन खरगे 22 अगस्त को सागर पहुंच रहे है। वे भी यहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे।
बुन्देलखंड के सात जिलों सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ निवाड़ी में कुल 26 विधानसभा सीटें हैं। यहां सबसे अधिक दलित मतदाता है। प्रदेश के इंदौर-उज्जैन के अलावा सागर ही ऐसा जिला है जहां पांच लाख से अधिक दलित वोटर है। भाजपा ने 2018 के चुनाव में बुंदेलखंड में अच्छा प्रदर्शन किया था। जिले की 26 में से 15 सीटे भाजपा, 9 कांग्रेस और एक-एक सीट सपा और बसपा के खाते में गई थी।
2018 में सागर जिले की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर भाजपा और दो पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। क्षेत्र के टीकमगढ़ और निवाड़ी दो ऐसे जिले हैं जहां की पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। दो दशक पहले तक कांग्रेस के प्रभाव वाले बुंदेलखंड में पार्टी की स्थिति कमजोर है। ऐसे में कांग्रेस अब खरगे के सहारे फिर से अपने परंपरागत वोटर को साधने में जुटी हुई है।