आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना हमेशा तैयार: राजनाथ सिंह

आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना हमेशा तैयार: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली: 11 नवंबर (वार्ता) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना को किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए और इसके लिए हर समय संचलानात्मक तैयारियों को कड़ा और सतर्क रखने की जरूरत है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को यहां सेना के शीर्ष कमांडरों के एक सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने सीमाओं की रक्षा, आतंकवाद से लड़ने और जरूरत पड़ने पर प्रशासन की सहायता करने में सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि देश की एक अरब से अधिक लोगों को सेना पर पूरा भरोसा है और सेना देश में सबसे विश्वसनीय संस्थान है। उन्होंने कहा कि मुझे सेना और उसके नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।

सेना की उच्च स्तर की परिचालन तत्परता और क्षमताओं की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह संतोष और खुशी की बात है कि सेना औद्योगिक क्षेत्र के सहयोग से नवीनतम तकनीक विकसित करने के अपने प्रयासों को तेज कर रही है। यह आत्मनिर्भरता के साथ-साथ स्वदेशीकरण के माध्यम से सैन्य आधुनिकीकरण को मजबूत करेगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए सेना हमेशा तैयार है।

उन्होंने कहा कि बदलते हालात को देखते हुए हमें किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा और इसके लिए हमेशा मजबूत परिचालन तैयारियां रखना बेहद जरूरी है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य गतिरोध और उनसे निपटने की रणनीतियों सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए शीर्ष सैन्य कमांडरों का पांच दिवसीय सम्मेलन सोमवार को शुरू हुआ।

इस सम्मेलन में भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सेना को मजबूत और अधिक सक्षम बनाने के संबंध में भी गहन चर्चा होगी। वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और नौसेना और वायु सेना के प्रमुख भी मौजूदा सुरक्षा स्थिति और सशस्त्र बलों की जरूरतों पर अपने विचार रखेंगे। इस बीच तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और समन्वय बढ़ाने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी।

सेना के उच्च कमांडरों का सम्मेलन साल में दो बार आयोजित किया जाता है और इसमें सभी प्रमुख कमांडर और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भाग लेते हैं। सम्मेलन में सेना से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श के बाद अहम नीतिगत फैसलों की भी रूपरेखा तैयार की गई।

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