क्या सच में घट रहा है कोरोना महामारी का क़हर?

क्या सच में घट रहा है कोरोना महामारी का क़हर?,Covid in India, देश में Covid-19 के नए मामलों में कमी आई है, लगातार पिछले दो दिनों से नए मामलों की तादाद 3 लाख से कम रही है, इन सरकारी आंकडों ने राहत तो दी है, लेकिन रोज़ाना 4 हज़ार से अधिक मौतें इस पर सरकार लीपापोती कर रही है, ICMR पूरे देश में लगभग 17 लाख जांच के आसपास का दावा कर रहा है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जांच RT-PCR है या एंटीजन रैपिड या फिर CT SCAN द्वारा की जा रही है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकारी आंकड़ा अधिकतर शहरी इलाक़ों का है जबकि गांवों की स्थिति तो बेहद ख़राब है, क्योंकि वहां न तो जांच के केंद्र बने हैं और न ही अभी तक वैक्सीन का कोई इन्तेज़ाम हुआ है, क्या ऐसी ख़राब स्तिथि के बाद भी कोरोना की महामारी अपने आप कम होती जा रही है? यह अपने आप में सोचने वाली बात है जिसे समझने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

राजधानी के गांव की ही स्थिति बुरी है तो बाक़ी का क्या!!
बिहार की राजधानी पटना ही में दो गांव नेमा और पोथाही Covid-19 से लड़ने के लिए अब भी तैयार नहीं हैं, यहां न तो कोई टेस्टिंग लैब है और न ही वैक्सीनेशन का केंद्र, यहां तक कि गांव वालों को टीकाकरण को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी तक नहीं, तो जब राजधानी पटना के गांवों का हाल कुछ इस तरह है तो बाक़ी का हाल तो आप ख़ुद समझ सकते हैं।

UP के 16 मई 2021 तक के आंकड़े
उत्तर प्रदेश के कई गांवों में Covid-19 की जांच का तरीक़ा बिल्कुल अलग है, आज़मगढ़, जौनपुर, बनारस, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ समेत कई ज़िलों के गांवों में Covid-19 की जांच के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है, जौनपुर के गांव खालिसपुर में लगभग 900 की आबादी है, गांव वाले बताते हैं कि जब वहां Covid-19 की जांच करने डॉक्टर साहब आए तो 200 से अधिक लोगों ने उन्हें घेर लिया, जबकि डॉक्टर साहब के पास केवल 25 लोगों की टेस्टिंग का सामान मौजूद था, वह केवल आधा घंटा वहां रुके और उसी में अपना काम निपटा कर लोगों को उसी सर्दी ज़ुकाम और बुख़ार की अवस्था में छोड़ कर चले गए।

नदी के किनारे पड़े शव भी उठा रहे सवाल
कोरोना महामारी के सरकारी आंकड़ों की पोल तो गांवों की मौजूदा स्थिति ही खोल रही है, साथ ही नदियों से मिलने वाले लगातार शव भी दुर्दशा की दास्तान बयान कर रहे हैं, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूपी और बिहार में नदियों के आसपास अब तक 2000 से अधिक शव मिल चुके हैं जिनका पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ, अंतिम संस्कार की जगह उन्हें नदी किनारे मिट्टी में दबा दिया गया, यहां तक कि उनके बारे में यह भी पता नहीं चल सका कि उनकी मौत Covid-19 के कारण हुई या किसी और वजह से उनकी मौत हुई।

क्या है 17 लाख जांच का सच?
आईसीएमआर ने दावा किया है कि वह देशभर में प्रतिदिन 17 लाख से अधिक जांच कर रहा है, हालांकि इसमें यह नहीं बताया गया है कि इन जांचों में आरटी-पीसीआर पर ज्यादा भरोसा किया जा रहा है या एंटीजन रैपिड टेस्ट पर।
ग़ौरतलब है कि ICMR ने कोरोना की पहली लहर के दौरान 70% सैंपल की जांच RT-PCR से करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दूसरी लहर में एंटीजन टेस्ट बढ़ाने की गाइडलाइन जारी की, ऐसे में माना जा रहा है कि इन 17 लाख जांच में एंटीजन रैपिड टेस्ट से जुटाया डाटा अधिक हो सकता है।

सवालों के घेरे में एंटीजन टेस्ट की प्रमाणिकता
रैपिड एंटीजन टेस्ट इस जांच में कोरोना की रिपोर्ट तुरंत मिल जाती है, लेकिन इसकी प्रामाणिकता हमेशा सवालों में रही है, देश में सबसे प्रामाणिक RT-PCR कोरोना जांच में 10 में से 4 सैंपल संक्रमित मिलते हैं, वहीं, एंटीजन में केवल एक ही पॉज़िटिव मिल रहा है, बता दें कि एंटीजन टेस्ट में निगेटिव आने के बाद भी लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण मिल रहे हैं, ऐसे में लोग संक्रमण को पुख़्ता करने के लिए X-RAY और CT SCAN भी करा रहे हैं।

देश में ऐसा है कोरोना का हाल
बता दें कि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार घट रहे हैं, ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारें कोरोना की दूसरी पीक गुज़र जाने का दावा कर रही हैं, हालांकि, विशेषज्ञ अब भी लापरवाही नहीं बरतने की सलाह दे रहे हैं, पिछले 24 घंटे के दौरान देश में 2 लाख 60 हज़ार नए संक्रमित मिले, जबकि 3719 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। गौरतलब है कि यह लगातार दूसरा दिन है, जब देश में 3 लाख से कम नए मामले मिले हैं, इससे पहले 16 मई रविवार को 2 लाख 81 हज़ार नए संक्रमित मिले थे और 4106 लोगों की मौत हुई थी।

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