अमेरिका ने अब तिब्बत पर चीन को घेरा , दलाई लामा से मिलेंगे बाइडन चीन और अमेरिका के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने एक और ऐसा कदम उठाया है जिससे चीन का तिलमिलाना स्वभाविक है ।
अमेरिका ने ताइवान के बाद अब तिब्बत मुद्दे पर भी चीन को घेरने की तैयारी कर ली है। अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने राष्ट्रपति जो बाइडन से अपील की है कि वह तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मुलाकात करें।
अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने मांग करते हुए कहा है कि तिब्बत को लेकर अमेरिका के कानूनों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए और तिब्बत को चीन का हिस्सा कहने की प्रथा बंद होना चाहिए।अमेरिकी प्रशासन से तिब्बत मुद्दे पर चीन के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाने की अपील अमेरिकी कांग्रेस के 60 से अधिक सदस्यों ने सीनेट में की है।
अमेरकी कांग्रेस से मिल रहे संकेतों के अनुसार स्पष्ट हो रहा है कि अमेरिकी कांग्रेस अब तिब्बत के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की तैयारी में है। अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट उजरा जेया को लिखे गए पत्र से भी यह बात साफ महसूस हो रही है। चीन तिब्बत पर पिछले 60 वर्षों से भी अधिक समय से बलपूर्वक कब्जा जमाए हुए है।
अमेरिका ने सदैव ही तिब्बत का समर्थन किया है। कहा जा रहा है कि अमेरिकी विदेश विभाग में तिब्बती मिशन के लिए स्पेशल कोऑर्डिनेटर के रूप में जेया को जल्द ही तैनात किया जा सकता है।
इस पत्र को लेकर तिब्बत के लिए अभियान चलाने वाली समितियों ने कहा है कि अमेरिकी कांग्रेस को उम्मीद है कि तिब्बत के समर्थन को लेकर अमेरिकी प्रशासन जल्द ही काम करना शुरू करेगा और इस संबंध में सार्थक प्रयास करेगा। इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत ने 38 सीनेटर और 27 प्रतिनिधियों को तिब्बत मसले पर साथ आने के लिए धन्यवाद कहा है।
जेया अभी नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानव अधिकारों के लिए अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के रूप में काम करती हैं। 2002 तिब्बती अधिनियम में स्पेशल कॉर्डिनेटर की नियुक्ति अनिवार्य है। इस पत्र में बाइडन प्रशासन से अपील की गई है कि वह दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के साथ संबंध स्थापित करें साथ ही अमेरिका से अपील की गई है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चीन के हस्तक्षेप का विरोध करे।
बता दे कि चीन सरकार योजना बना रही है कि इस बार 86 वर्षीय दलाई लामा का उत्तराधिकारी नियुक्त करेगा जबकि 2020 के तिब्बती निति और समर्थन अधिनियम में यह स्पष्ट कहा गया है कि तिब्बती बौद्ध समुदाय और दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी के चयन का फैसला कर सकते हैं।