तालिबान में पड़ी फूट, मुल्ला ग़नी बरादर ने काबुल छोड़ा तालिबान के संस्थापक सदस्य और दोहा समझौते में अहम भूमिका निभाने वाले मुल्ला ग़नी बरादर ने काबुल छोड़ दिया है ।
तालिबान में फूट पड़ने की खबरें आ रही हैं । कहा जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर ने काबुल छोड़ दिया है ।
तालिबान की नव गठित अंतरिम सरकार में फूट पड़ गई है । राष्ट्रपति भवन में तालिबान के सह संस्थापक मुल्ला ग़नी बरादर के गुट और कैबिनेट के एक अन्य सदस्य के बीच कहासुनी हुई है । हाल ही के दिनों में मुल्ला बरादर सार्वजनिक रूप से नहीं दिखा है।
तालिबान के बीच नेतृत्व को लेकर सहमति खुलकर सामने आ गई है। हालांकि इन खबरों को तालिबान ने आधिकारिक रूप से खारिज किया है। मुल्ला ग़नी बरादर एवं कैबिनेट के अन्य सदस्य के बीच कहासुनी के बाद पड़ने वाली फूट की बात भी तालिबान के एक सीनियर अधिकारी ने बीबीसी को बताई है।
याद रहे कि अगस्त में ही तालिबान ने पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा करते हुए अफ़ग़ानिस्तान को इस्लामिक गणतंत्र से इस्लामिक अमीरात बनाने की घोषणा की थी। तालिबान की ओर से 7 सितंबर को अफगानिस्तान के अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की गई थी।
अफ़ग़ान कैबिनेट में महिलाओं को जगह नहीं दी गई जबकि कैबिनेट में शामिल अधिकतर सदस्य भी वांछित और कुख्यात आतंकी हैं। तालिबान के एक सूत्र के हवाले से बीबीसी ने खबर देते हुए कहा कि अब्दुल ग़नी बरादर और खलील उर रहमान के बीच आपसी कहासुनी हुई है।
दोनों के समर्थक आपस में भिड़ गए। खलीलुर रहमान आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क का नेता और तालिबान की सरकार में रिफ्यूजी मामलों का मंत्री है। क़तर में मौजूद तालिबान के एक सीनियर सदस्य ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पिछले सप्ताह ऐसा हुआ था।
अंतरिम सरकार में उप प्रधान मंत्री बनाए गए मुल्ला ग़नी बरादर सरकार की इस संरचना से खुश नहीं है । अफगानिस्तान में जीत का श्रेय लेने के लिए तालिबान नेताओं में होड़ मची हुई है। वह आपस में उलझ रहे हैं।
ग़नी बरादर को लगता है कि उसकी डिप्लोमेसी के कारण तालिबान को अफगानिस्तान में सत्ता मिली है जबकि हक्कानी नेटवर्क के सदस्य और उसके समर्थकों को लगता है कि अफगानिस्तान में मिलने वाली जीत उनकी लड़ाई के दम पर हुई है। हक्कानी नेटवर्क की कमान इस समय तालिबान के एक वरिष्ठ नेता के पास है।
याद रहे कि मुल्ला ग़नी बरादर तालिबान का पहला नेता है जिसने 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से फोन पर सीधे बात की थी। इससे पहले उसने तालिबान की तरफ से दोहा समझौते में अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
दूसरी ओर पाकिस्तान का शक्तिशाली हक्कानी नेटवर्क है। हालिया वर्षों में वह अफगानिस्तान में पश्चिमी बलों पर हमलों में शामिल रहा है। अमेरिका ने उसे आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान की नई सरकार में गृह मंत्री बनाया गया है।
कहा जा रहा है कि तालिबान के बीच विवाद के चलते ग़नी बरादर काबुल छोड़कर चला गया है। ग़नी अभी क्या कर रहा है इसे लेकर अलग-अलग बात कही जा रही है। एक प्रवक्ता के अनुसार ग़नी कंधार सुप्रीम नेता से मिलने के लिए गया है जबकि एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि वह थक गया है और थोड़ा आराम करना चाहता है।
तालिबान के बयान पर संदेह गहराया हुआ है। 2015 में भी तालिबान ने स्वीकार किया था कि उसने अपने संस्थापक नेता मुल्ला उमर की मौत की बात 2 साल से अधिक समय तक छुपा कर रखी थी । सकी मौत के 2 साल बाद तक भी तालिबान कुख्यात आतंकी उमर के नाम पर बयान प्रसारित करता था।
तालिबान के वर्तमान सुप्रीम नेता हैबतुल्लाह अखुंदज़ादेह को लेकर भी कई तरह की अटकलें हैं। उसे कभी भी सार्वजनिक रूप से देखा नहीं गया है। उसके पास तालिबान के राजनीतिक, सैन्य एवं धार्मिक मामलों की जिम्मेदारी है।


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