यूक्रेन पर अमेरिकी दबाव ठुकराने पर रूस ने भारत का आभार जताया

यूक्रेन पर अमेरिकी दबाव ठुकराने पर रूस ने भारत का आभार जताया

रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनातनी के दौर में अमेरिका के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुलाई गई बैठक में भारत के रुख पर रूस ने नई दिल्ली का शुक्रिया अदा किया है।

यूक्रेन की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में पहले चीन के प्रक्रियागत मतदान के खिलाफ मत देने और केनिया भारत और गैबॉन के अनुपस्थित रहने पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के एक राजनयिक ने चारों देशों का शुक्रिया अदा किया है।

भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच तनावपूर्ण हालात को लेकर चर्चा के लिए बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले प्रक्रियागत मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। अमेरिका की ओर से की जा रही है लामबंदी पर कटाक्ष करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थाई दूत के सहायक दिमित्री पोलिंस्की ने कहा कि जैसा हमने उम्मीद की थी एक जन संपर्क हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं था। यह एक मेगाफोन डिप्लोमेसी का उदाहरण है (सीधे बातचीत न करके विवादित मामले में सार्वजनिक बयानबाजी करने की कूटनीति ) कोई सच्चाई नहीं, सिर्फ और सिर्फ आरोप और निराधार दावे। यह अमेरिकी कूटनीति का सबसे खराब स्तर है। भारत, चीन और केन्या जैसे सहयोगी देशों का धन्यवाद जो अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहे।

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने रूस की आक्रामकता को दुनिया के लिए खतरा बताते हुए कहा था कि रूस की आक्रामकता केवल यूरोप और यूक्रेन के लिए खतरा नहीं है बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए भी खतरा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दायित्व है कि वह उसे जिम्मेदार बनाएं। पूर्व साम्राज्यों को अपने क्षेत्र को बलपूर्वक फिर से हासिल करना शुरू करने का अधिकार मिल जाए तो दुनिया के लिए इसका क्या अर्थ होगा ? यह हमें एक खतरनाक मोड़ पर ले जाएगा। हम इसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मामले को लेकर आए है। रूस की सद्भावना की परीक्षा है कि वह वार्ता की मेज पर आता है और कब तक वार्ता का पक्षधर है। क्या हम किसी सहमति पर पहुंच पाते हैं या नहीं ? अगर रूस ऐसा करने से इनकार करता है तो दुनिया को यह बात पता चल जाएगी इन हालात के लिए कौन जिम्मेदार है।

बैठक से पहले ही सुरक्षा परिषद के स्थाई और वीटो प्राप्त सदस्य रूस ने एक प्रक्रियागत वोट का आह्वान किया था ताकि यह बात स्पष्ट हो जाए कि इस बैठक को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं। अमेरिका के अनुरोध पर बैठक आयोजित करने के लिए 9 मतों की आवश्यकता थी। रूस और चीन ने इस बैठक के विरुद्ध वोट दिया जबकि भारत , केन्या और गैबॉन ने मतदान में भाग नहीं लिया। वहीं फ्रांस ,अमेरिका और ब्रिटेन सहित परिषद के अन्य सदस्यों ने बैठक को जारी रखने के पक्ष में मतदान किया।

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