कमला हैरिस ने ग़ाज़ा, अमेरिकी मुस्लिमों और इज़रायल से संबंधित सवालों का नहीं दिया जवाब
अमेरिका की उप-राष्ट्रपति और 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की संभावित उम्मीदवार कमला हैरिस हाल ही में समाचार एजेंसी “सीबीएस 60 सेकंड्स” को दिए एक इंटरव्यू में ग़ाज़ा, अमेरिकी मुस्लिम समुदाय और इज़रायल के संबंध में पूछे गए सवालों का स्पष्ट और सीधे तौर पर जवाब देने से बचती नज़र आईं।
जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका अब इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर अपना प्रभाव खो चुका है, तो उन्होंने कूटनीतिक तरीके से जवाब देते हुए कहा कि इज़रायल के साथ अमेरिका की चल रही बातचीत और राजनयिक प्रयास उनके मूल्यों और सिद्धांतों को दर्शाते हैं। हालाँकि, इस सवाल के स्पष्ट उत्तर के बजाय उन्होंने कहा कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है, और अमेरिका का रुख साफ है कि ग़ज़ा में युद्ध रुकना चाहिए।
इंटरव्यू में जब उनसे सीधा सवाल किया गया कि क्या नेतन्याहू अमेरिका के करीबी साथी हैं, तो कमला हैरिस ने इसका सीधा जवाब देने से फिर बचते हुए कहा कि “इज़रायली जनता और अमेरिकी जनता करीबी साथी हैं।” उन्होंने सवाल को इस तरह से घुमा दिया कि नेतन्याहू के बारे में कोई सीधी टिप्पणी न करनी पड़े। इस जवाब से यह प्रतीत होता है कि हैरिस नेतन्याहू के साथ अमेरिका के संबंधों पर कोई विवादास्पद टिप्पणी करने से बचना चाह रही थीं, जबकि ग़ाज़ा में चल रही हिंसा के संदर्भ में इज़रायल के साथ अमेरिका का संबंध एक बड़ा मुद्दा है।
इसके अलावा, जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका किस तरह से इस युद्ध को रोकने की कोशिश करेगा, तो उन्होंने इस सवाल का सीधे उत्तर देने के बजाय 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले की चर्चा की, और उस पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन उन्होंने युद्ध रोकने के संबंध में कोई ठोस योजना या कदम का ज़िक्र नहीं किया। इस तरह, उन्होंने असल सवाल का जवाब दिए बिना ही इसे टाल दिया।
कमला हैरिस ने इससे पहले “सीएनएन” को दिए एक इंटरव्यू में भी कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनी जाती हैं, तो वे जो बाइडेन प्रशासन की वर्तमान नीति में कोई बदलाव नहीं करेंगी। इस बयान के बाद अमेरिकी मुस्लिम समुदाय में निराशा फैल गई, क्योंकि वे ग़ाज़ा और इज़रायल के मुद्दे पर बाइडेन प्रशासन की नीतियों से असंतुष्ट हैं। ये समुदाय विशेष रूप से अमेरिका की उन नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं, जिनमें इज़रायल को समर्थन दिया जाता है, जबकि ग़ाज़ा में मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है।
केवल मुस्लिम समुदाय नहीं बल्कि अमेरिका के छात्र और वहां की पूरी जनता फ़िलिस्तीन के समर्थन में लगातार इज़रायल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा दूसरे यूरोपीय देशों, फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी लगातार इज़रायल के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा है।
अमेरिकी मुस्लिम समुदाय, खासकर स्विंग स्टेट्स में, कमला हैरिस और डेमोक्रेटिक पार्टी को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उनकी आवाज़ और चिंताओं को अनसुना किया गया, तो वे आगामी चुनाव में इसे लेकर अपना विरोध दर्ज कर सकते हैं। इन समुदायों का मानना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी ने ग़ाज़ा और इज़रायल के मुद्दे पर उनका समर्थन नहीं किया है, और अगर यह रुख जारी रहा, तो इसका प्रभाव चुनावी परिणामों पर पड़ सकता है।