इज़रायल की दक्षिणी लेबनान के 5 गांवों के निवासियों को धमकी
इज़रायली सेना के प्रवक्ता अविखाई अड्रई ने आज दक्षिणी लेबनान इलाके के 5 और गांवों के निवासियों को धमकी दी, जिसमें उन्हें अपने घरों को तुरंत खाली करने का निर्देश दिया गया। यह इज़रायली सेना की वही पुरानी रणनीति है, जो डर और धमकी के जरिए लेबनानी नागरिकों को उनके ही घरों से बेदखल करना चाहती है।
गांवों को धमकी देने की रणनीति
लेबनानी वेबसाइट अल-नशरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इज़रायली सेना ने ज़ोतार शर्की, ज़ोतार ग़रबी, अरनून, यहमर, और अल-क़सीबा जैसे गांवों को निशाना बनाया। इन गांवों के निवासियों को संदेश दिया गया कि वे तुरंत अपने घर छोड़कर उत्तर की ओर अल-अवली नदी के पास चले जाएं। सेना ने दावा किया कि “हिज़्बुल्लाह की गतिविधियां” उन्हें इन इलाकों में कड़ी कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर रही हैं।
हिज़्बुल्लाह का संघर्ष और इजरायल का दोहरा मापदंड
इज़रायली प्रवक्ता ने धमकी भरे लहजे में कहा कि दक्षिण की ओर कोई भी हरकत करना “मना” है क्योंकि इससे नागरिकों की जान को खतरा हो सकता है। यह बयान इजरायल की उस मानसिकता को दर्शाता है, जो लेबनानी नागरिकों और हिज़्बुल्लाह के खिलाफ लगातार आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। इज़रायल इस भ्रम में है कि धमकियों और सैन्य ताकत से वह लेबनानी नागरिकों को डराकर पीछे हटने पर मजबूर कर देगा।
लेकिन इतिहास ने बार-बार साबित किया है कि हिज़्बुल्लाह, लेबनान की जनता और उसके समर्थकों ने हमेशा इन धमकियों का डटकर सामना किया है। इज़रायल की ऐसी हरकतें उनके प्रतिरोध आंदोलन को और मजबूत करती हैं। हिज़्बुल्लाह का मकसद केवल अपनी जमीन की रक्षा करना नहीं, बल्कि इज़रायल की अवैध गतिविधियों और दक्षिण लेबनान पर कब्जे को खत्म करना है।
लेबनान की जनता पर इजरायली सेना का अत्याचार
इज़रायली प्रवक्ता ने कहा कि “अनुकूल परिस्थितियां बनने पर” उन्हें उनके घर लौटने का समय बताया जाएगा। यह बयान इज़रायल की दमनकारी सोच को उजागर करता है, जो खुद को एक ताकतवर सेना समझकर लेबनानी नागरिकों को उनकी ही जमीन पर बंधक बनाना चाहती है। लेकिन क्या इज़रायल यह भूल गया है कि दक्षिण लेबनान की भूमि पर हिज़्बुल्लाह और लेबनान की जनता ने पहले भी उनके सैन्य अत्याचारों को नाकाम किया है?
हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया
हिज़्बुल्लाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, हमारा संघर्ष न केवल इज़रायली हमलों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, बल्कि उसने लेबनान की जनता में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना भी जगाई है। यह संगठन इज़रायली सेना की दमनकारी नीतियों के खिलाफ एक मजबूत दीवार की तरह खड़ा है।
इज़रायली सेना की धमकियों का मकसद केवल डर का माहौल बनाना है, लेकिन हिज़्बुल्लाह और लेबनान की जनता ने कभी झुकना स्वीकार नहीं किया। यह संघर्ष केवल एक संगठन या सेना का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जो अपनी जमीन, अपने अधिकार और अपने भविष्य की रक्षा के लिए खड़ा है। हिज़्बुल्लाह का प्रतिरोध इज़रायल की हर साजिश को नाकाम करने की क्षमता रखता है और लेबनान के दक्षिणी क्षेत्र में शांति और संप्रभुता के लिए एक मजबूत संदेश है।