जर्मनी में महंगाई 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची
जर्मन संघीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जर्मनी में मुद्रास्फीति मार्च में 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई जो एक साल पहले की तुलना में 7.3 प्रतिशत अधिक है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल से जुड़े उत्पादों की कीमतों में एक बार फिर से खासी बढ़ोतरी हुई है और महंगाई पर इसका खासा असर पड़ा है। दूसरी ओर बढ़ती कीमतों और चल रहे ऊर्जा क्षेत्र के बारे में चिंताओं ने जर्मनी के लिए अनुमानित आर्थिक विकास को 2022 तक पहुंचने से रोक दिया है। 2022 में जर्मन अर्थव्यवस्था के 4.6% बढ़ने का अनुमान था जो अब गिरकर 1.8% हो गया है।
जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्त्स ने हाल ही में एक बयान में कहा कि यदि रूस से ऊर्जा आयात पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है तो जर्मनी को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और जर्मन अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों को पूरी तरह से काम करना बंद करने के लिए मजबूर किया जाएगा जिसका अर्थ है कि अविश्वसनीय संख्या में नौकरी के अवसरों को खोना होगा।
जर्मनी ही नहीं, पूरे यूरोप में बिजली, खाने और किराए जैसी चीजों के दाम अंधाधुंध बढ़ रहे हैं। यूरोप में महंगाई हर साल पांच-पांच फीसदी की दर से बढ़ रही है। जर्मन अर्थव्यवस्था के लिए दिसंबर और पूरे 2021 के आज ही जारी हुए आंकड़े दिखाते हैं कि रहन-सहन के दामों में केवल 2021 के दौरान 3.1 फीसदी की बढोत्तरी हुई। इसका कारण ऊर्जा की ऊंचीं कीमतों के अलावा सप्लाई चेन का अवरुद्ध होना भी रहा जिसकी स्थिति कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई। इसके अलावा देश में लंबे वैल्यू ऐडेड टैक्स पर मिलने वाली छूट खत्म होने का भी इसमें हाथ रहा। सन 1993 से यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में इतनी महंगाई देखने को नहीं मिली थी।