मानवाधिकार से लेकर अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों तक समय समय पर पश्चिमी जगत का पाखंड सामने आता रहा है। जर्मनी ने जब सऊदी अरब को हथियार आपूर्ति पर रोक के अपने नियम को एक साल के लिए आगे बढ़ाया तो इसका नमूना एक बार फिर सामने आया जब उसने यूरोप के अन्य देशों के साथ संयुक्त सौदे को इस नियम से अलग रखा।
जर्मनी ने एक ओर सऊदी अरब को हथियारों की रोक लगाने का ढिंढोरा तो पीटा लेकिन वहीँ अन्य यूरोपीय देशों के साथ साझा रूप से उसे हथियार देने ओर हथियार सौदे पर कोई रोक न होने की भी बात की जो पश्चिमी जगत के दोहरे मापदंड ओर उसके पाखंड को बयान करने के लिए काफी है।
पश्चिमी जगत का दोहरा मापदंड एक बार फिर उजागर हुआ जब जर्मनी के वित्त मंत्रालय ने स्वीकार किया कि जर्मन सरकार ने पिछले साल यमन ओर लीबिया में युद्ध की आग भड़का रहे गुटों को एक अरब यूरो से अधिक के हथियार सप्लाई करने के लिए लाइसेंस जारी किए थे।
सऊदी अरब यमन में पिछले 5 साल से विध्वंसक हमले कर रहा है डॉयचे वेले ने जहाँ जर्मनी से हथियार खरीदने वाले देशों के नामों का उल्लेख किया वहीं इस लिस्ट में सऊदी अरब का कोई नाम नहीं लिया है। याद रहे कि जर्मनी ने दिसम्बर 2020 में ही मिस्र को 752 मिलियन यूरो के हथियार सौदे को मंज़ूरी दी है।