मिस्र के एक अस्पताल अल हुसैनिया में रात को चीख पुकार शुरू हो गई, एक नर्स चिल्ला रही थी कि कोविड 19 के आईसीयू { इंटेंसिव केयर यूनिट} में मरीज़ सांस लेने के लिए हांफ रहे थे। बाहर खड़े एक व्यक्ति अहमद नफेई ने एक सुरक्षा गार्ड को धक्का दे कर अंदर झांका तो देखा कि उनकी 62 वर्षीय चाची की मौत हो चुकी है।
क्रोधित अहमद नफेई ने अपन फोन से इस स्थिति की वीडियो बनाना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था कि अस्पताल से ऑक्सीजन समाप्त हो चुकी थी, मॉनिटर्स बीप कर रहे थे।
एक कोने में छुपी हुई नर्स जो काफी परेशान नज़र आ रही थी उसके साथियों ने मैनुअल वेंटीलेटर के इस्तेमाल से एक व्यक्ति को बचाने की कोशिश की। तकरीबन चार लोगों की मौत हुई
श्री नाफेई का बनाया हुआ 48 सेकंड्स का वीडियो अल हुसैनिया सेंट्रल अस्पताल से वायरल हो गया जो कि काहिरा से ढाई घंटे की दूरी पर है। बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए सरकार ने इस बात से इंकार कर दिया कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हुई थी।
अगले दिन जारी किए गए एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि जिन चार लोगो को मौत हुई वो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से पीड़ित थे, बयान में इस बात से इंकार किया गया है कि इन मौतों का ऑक्सीजन की कमी से कोई संबंध था।
सुरक्षा अधिकारियों ने श्री नाफ़ेई से पूछताछ की उन्हें नियम तोड़ने और अस्पताल के अंदर वीडियो बनाए जाने को लेकर दोषी करार दिया।
हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स की एक तफ्तीश में दूसरी बात पता चली। मेडिकल स्टाफ और मरीजों के रिश्तेदारों सहित गवाहों ने बताया कि ऑक्सीजन का स्तर बिल्कुल गिर चुका था। लगभग तीन मरीज़ बल्कि शायद चौथा भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मारे गए हैं।
मिस्र और अमेरिका के डॉक्टरों द्वारा वीडियो का सही तरह मुआयना करने पर इस बात की पुष्टि होती है कि आईसीयू में अफरा तफरी का माहौल ऑक्सीजन में आई हुई भारी कमी का संकेत है।
हमारी जांच में पाया गया है कि ऑक्सीजन की कमी अस्पताल में मुसीबतों का पहाड़ बन कर टूटी, जब आईसीयू में मरीजों का दम घुट रहा था तब ऑक्सीजन सप्लाई के लिए निर्देश दे दिए गए थे जो कि पहले ही घंटो देरी से आया और बैकअप ऑक्सीजन सिस्टम नाकाम हो गया ।
एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “हम मुश्किलों को अनदेखा कर के यह दिखावा नहीं कर सकते कि सब कुछ ठीक है” पूरी दुनिया यह मान सकती है कि कुछ समस्या है लेकिन हम नहीं।
इस घटना से इंकार करने की सरकार की जो जल्दी है वो कोविड मामले की जवाबदेही में पारदर्शिता की कमी को दर्शाने का नया उदाहरण है।
कई मिस्र वासियों के लिए श्री नफेई के वीडियो में कोरोना महामारी के असली टोल के बिना सेंसर किए हुए और दुर्लभ दृश्यों को दिखाया गया था। सरकार ने यह स्वीकार किया कि अस्पताल के आईसीयू में 2 जनवरी को 4 लोगों को मौत हुई थी लेकिन इस बात को स्वीकार करने से इंकार किया कि यह मौतें ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई थीं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया कि जिन मरीजों की मौत हुई उनमें से अधिकतर बुज़ुर्ग थे, और सबकी मौत अलग अलग समय पर हुई है। कम से कम एक दर्जन मरीज़ एक ही ऑक्सीजन नेटवर्क से जुड़े हुए थे जिनमें इनक्यूबेटर में नवजात बच्चे भी शामिल थे और कोई भी इससे प्रभावित नहीं हुआ। इन बातों से यह तो साफ है कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के आरोप में कोई दम नहीं है।
अस्पताल के मेडिकल स्टाफ ने बताया कि ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी तरह से खत्म नहीं हुई थी बल्कि दबाव भयानक रूप से कम हो गया था आईसीयू में यह और भी बुरे हाल में था यह ऑक्सीजन मरीजों को बचा पाने के लिए अपर्याप्त थी। ऑक्सीजन का दबाव शायद नेटवर्क के स्तर के गिरने से या पाइपलाइन में कुछ गड़बड़ी के कारण हो गया था।
ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा किए गए प्रयास भी नाकाम हो गए, जब उन्होंने अस्पताल के मुख्य टैंक से आईसीयू में ऑक्सीजन देने की कोशिश की तो वो ज़्यादा भार पड़ने से नाकाम हो गया। दिन में ही वो इस बात से आगाह हो गए थे कि ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है अस्पताल के अधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्रालय से ऑक्सीजन देने के लिए अनुरोध भी किया था लेकिन डिलिवरी ले कर आने वाला ट्रक तीन घंटे से भी ज़्यादा की देरी से पहुंचा। अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि अगर ये छह बजे तक भी पहुंच जाता तो ऐसा कुछ भी नहीं होता।
मिस्र और संयुक्त राज्य अमेरिका के छह डॉक्टरों ने इस वीडियो का विश्लेषण किया और ऑक्सीजन की कमी होने की जानकारी ली।
वीडियो में देखा जा सकता है की कोई भी मरीज़ ऑक्सीजन लाइन से जुड़ा हुआ नहीं है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि एक डॉक्टर पोर्टेबल टैंक का इस्तेमाल कर रहा है जिसको कि सिर्फ अपात स्थिति में अस्थाई तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, कुछ ही फीट की दूरी पर नर्सों का एक समूह एक व्यक्ति को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है जो ऑक्सीजन स्रोत से जुड़ा हुआ नहीं है।
न्यूयार्क के तत्काल विभाग में तैनात डॉक्टर हिचम अलनातावती ने कहा ” कोई भी ऑक्सीजन ट्यूब एयरबैग से जुड़ा हुआ नहीं था, उसे सिर्फ हवा के ज़रिए बचाने की कोशिश की जा रही थी , लेकिन ऐसा नहीं हो सकता बिना ऑक्सीजन के किसी को बचाना नामुमकिन है”।
न्यूयॉर्क में सैकड़ों कोविड-19 के मरीजों की देखभाल कर चुकी लेनोक्स अस्पताल के फेफड़े संबंधी विभाग की प्रमुख डॉक्टर बुशरा मीना ने। भी इस वीडियो में डॉक्टरों और नर्सों को मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई करवाए जाने की कोशिशें करते हुए देखा। डॉक्टर मीना ने कहा कि ऐसा होना यूएस में भी खतरनाक हो सकता है जहां पर आपके पास ढेरों संसाधन है तो मिस्र के बारे में सोचिए जहां संसाधन सीमित हैं।
ऑक्सीजन की कमी का यह मामला ऐसा नहीं जो कि केवल मिस्र के अल हुसैनिया अस्पताल में हुआ दूसरे अस्पतालों से भी ऐसी खबरे आती रही हैं, कोविड के एक मरीज़ ने एक वीडियो जारी कर के उसमे कहा था कि हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं है।
जब अल हुसैनिया अस्पताल का वीडियो सामने आया तो मिस्र के लोगो से इस पर यकीन ना करने को कहा गया।
अल शारकिया के गवर्नर मामदोह घोरब ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि इस वीडियो में ऑक्सीजन में कमी होने का कोई सबूत नहीं है।
अल हुसैनिया सेंट्रल में होने वाली ऑक्सीजन की कमी से इंकार किया गया जबकि अधिकारियों ने इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाए और इसको स्वीकार किया।
स्वास्थ्य मंत्री हलाला ज़ायेद ने ऑक्सीजन की कमी और सप्लाई ट्रक द्वारा हुई देरी को स्वीकार किया और दोगुनी ऑक्सीजन सप्लाई करने के आदेश दिए।
सरकार ने अल हुसैनिया अस्पताल से बने वीडियो से मचे बवाल के लिए भी एक कानून बनाया के कि अब हर आने वाले को अपना फोन बाहर ही छोड़ना पड़ेगा।