ट्रंप ने अपनी आलोचना करने वाले मीडिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आदेश दिया
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने ख़िलाफ़ आलोचना करने वाले अमेरिकी मीडिया पर कार्रवाई का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि जो मीडिया उन पर हमला करे, उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाने चाहिए। जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने खिलाफ़ आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई की हिदायत दी है और रेगुलेटरों से कहा है कि उनके प्रसारण लाइसेंस रद्द करने पर विचार किया जाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करते नज़र आ रहे हैं। अमेरिकी मीडिया संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश देकर साफ़ कर दिया है कि, वे आलोचना को बर्दाश्त करने के बजाय उसे कुचलना चाहते हैं। ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि, जिन मीडिया संस्थानों ने उन पर हमला किया है, उनके प्रसारण लाइसेंस रद्द कर दिए जाएं।
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने फ़ेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) को निर्देश दिया है कि वे उन चैनलों और अख़बारों के लाइसेंस पर विचार करें जो लगातार उनकी नीतियों और बयानों पर सवाल उठाते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे प्रतिष्ठित अख़बारों पर हर्ज़ाने के मुक़दमे करने की भी योजना बनाई है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अमेरिका का राष्ट्रपति स्वतंत्र प्रेस की आवाज़ को कुचल देगा, तो लोकतंत्र और संविधान की रक्षा कौन करेगा?
मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि ट्रंप ने पिछले हफ्ते लेट-नाइट कॉमेडी शोज़ के मशहूर होस्ट्स को भी निलंबित करने का इशारा किया। यानी सिर्फ़ गंभीर समाचार संस्थानों पर ही नहीं, बल्कि व्यंग्य और हास्य के मंच पर भी उनकी नज़र गड़ी हुई है। यह दर्शाता है कि ट्रंप हर उस आवाज़ को दबाना चाहते हैं जो उनके ख़िलाफ़ उठे, चाहे वह पत्रकार हो, कलाकार हो या कोई साधारण नागरिक।
दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक सांसदों ने “नो पॉलिटिकल एनिमीज़ एक्ट” लाने की तैयारी की है। इस कानून का उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर होने वाले ऐसे हमलों को रोकना और पीड़ित लोगों को न्याय देना है। सीनेटर चक शूमर ने साफ़ कहा है कि ट्रंप का यह रवैया अमेरिकी संविधान और नागरिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
ट्रंप का यह व्यवहार साफ़ करता है कि वे एक लोकतांत्रिक राष्ट्रपति से ज़्यादा एक तानाशाह की तरह सोच रहे हैं। लोकतंत्र की खूबसूरती आलोचना को सुनने और उसे स्वीकार करने में है, न कि आलोचकों का गला घोंटने में। यदि अमेरिका जैसे देश में भी प्रेस और स्वतंत्र विचारधारा को दबाने की कोशिश होगी, तो यह दुनिया भर के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ख़तरे की घंटी है।
ट्रंप को यह समझना होगा कि मीडिया का काम सिर्फ़ उनकी तारीफ़ करना नहीं, बल्कि जनता के सामने सच रखना है। लेकिन जिस तरह से वे प्रेस की स्वतंत्रता को कुचल रहे हैं, वह न सिर्फ़ उनकी अलोकतांत्रिक सोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अपने आप को एक तानाशाह समझने लगे हैं।


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