ग़ाज़ा नरसंहार का एहसास, इज़रायली अफ़सर की आत्महत्या का कारण बना

ग़ाज़ा नरसंहार का एहसास, इज़रायली अफ़सर की आत्महत्या का कारण बना

तक़रीबन ढाई साल तक चले ग़ाज़ा नरसंहार को ग़ाज़ा युद्ध कहना खुल्लम खुल्ला नाइंसाफ़ी होगी, क्योंकि युद्ध तो उसे कहते हैं जिसमे दोनों तरफ़ लश्कर और सैनिक हों। दोनों तरफ़ जंगी सामान और हथियार हों। लेकिन अगर एक तरफ़ सिर्फ़ मारने वाले हों और दूसरी तरफ़ निहत्थे, निर्दोष आम नागरिक, औरतें, बच्चे, बूढ़े बुज़ुर्ग अपनी मौत की प्रतीक्षा कर रहे हों, तो इसे जनसंहार कहा जाता है। ग़ाज़ा युद्ध की घटनाओं से उत्पन्न हुआ अपराध का एहसास, इजरायली अफ़सर की आत्महत्या का कारण बना। इस अफ़सर के ऑनलाइन संदेशों से पता चला कि वह अत्यधिक मानसिक तनाव में था।

पिछले सप्ताह आत्महत्या करने वाले इज़रायली रिज़र्व अफ़सर थोमस एडज़गास्कस ने ऑनलाइन संदेश छोड़े हैं, जो 7 अक्टूबर 2023 की घटनाओं और ग़ाज़ा में तैनाती के बाद उनके मानसिक तनाव को दर्शाते हैं। अपनी मौत से पहले एडज़गास्कस ने युद्ध से जुड़े मानसिक पतन के बारे में खुलकर लिखा, जिसने उनके आत्महत्या के विचार को जन्म दिया। उनके अंतिम संदेशों में से एक में लिखा था: “मेरी जिंदगी 7 अक्टूबर को बर्बाद हो गई।” अपनी अंतिम इच्छा में उन्होंने कहा: “कृपया मुझे भूल जाएँ और केवल उस सैनिक को याद रखें जो मैं युद्ध से पहले था।” उन्होंने यह भी लिखा, “दो साल से मैं अपने साथ जीने में असमर्थ हूँ।”

स्पष्ट है कि 7 अक्टूबर 2023 से चल रहे इज़रायली आक्रमण में शामिल इज़रायली सैनिक गहरे तनाव में हैं, जिसमें उनके काम के घंटे बढ़ गए हैं और कई अमानवीय आदेश शामिल हैं। ग़ाज़ा में अत्याचार करने की खुली छूट ने उनके विवेक को झकझोर दिया है। यही कारण है कि वे गहरे अपराधबोध में हैं और इस मानसिक तनाव से बचने के लिए आत्महत्या कर रहे हैं। इज़रायल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 18 महीनों में सैनिकों में 279 आत्महत्या के प्रयास हुए, जिनमें 36 सैनिक मारे गए। बाद में एक हालिया सैन्य समीक्षा में इन घटनाओं को ग़ाज़ा में तैनात सैनिकों के सामने आने वाले अत्यधिक दबावपूर्ण हालात से जोड़ा गया।

दूसरी ओर, ग़ाज़ा में मानव स्थिति चिंताजनक है। 7 अक्टूबर 2023 के बाद से इज़रायली सैन्य कार्रवाइयों में 70 हजार से अधिक फ़िलिस्तीनियों की मौत और 1 लाख 71 हजार घायल हुए, जिनमें अधिकतर महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं। ग़ाज़ा के सरकारी मीडिया ऑफिस के अनुसार, क्षेत्र के 24 लाख निवासियों के लिए भोजन और दवाइयों तक पहुँच बंद है।

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