शुक्रवार को ईरान की तीन यूरोपीय शक्तियों के साथ परमाणु वार्ता
ईरान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के प्रतिनिधि इस्तांबुल में परमाणु मुद्दे पर वार्ता करेंगे। यह बैठक शुक्रवार को होने वाली है और इसका ऐलान ऐसे समय हुआ है जब इन तीन यूरोपीय देशों (E3) ने चेतावनी दी है कि, अगर ईरान के साथ बातचीत फिर से शुरू नहीं होती, तो उस पर फिर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
यह वार्ता ऐसे समय हो रही है जब ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने गुरुवार को यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख और E3 देशों के विदेश मंत्रियों के साथ पहली बार बात की। यह संपर्क एक महीने पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका और इज़रायल के हमलों के बाद पहली बार हुआ है।
2015 में ईरान के साथ जो परमाणु समझौता हुआ था, उसमें अमेरिका समेत छह देश शामिल थे। लेकिन 2018 में अमेरिका उस समझौते से बाहर निकल गया। अब केवल फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, रूस और चीन इस समझौते के पक्षकार बचे हैं। इस समझौते के तहत ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाए गए थे, बदले में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर कुछ सीमाएं स्वीकार की थीं।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने बताया कि, “ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ यह बैठक विदेश मंत्री स्तर पर होगी। E3 देशों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका और ईरान के बीच चल रही परमाणु वार्ता, जो इज़रायल के अचानक हमले के कारण रुकी थी — फिर से शुरू नहीं होती या उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता, तो अगस्त के अंत तक ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए जाएंगे।
ईरान ने अमेरिका पर इज़रायल के हमलों में मिलीभगत का आरोप लगाया है। इन हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी, परमाणु वैज्ञानिक और सैकड़ों आम नागरिक मारे गए। अमेरिका ने भी ईरान के तीन बड़े परमाणु स्थलों पर हमला किया और दावा किया कि उसने उन्हें “पूरी तरह नष्ट” कर दिया। 24 जून को युद्ध-विराम लागू किया गया।
ईरानी विदेश मंत्री अराक़ची ने कहा, “अगर यूरोपीय संघ और E3 वास्तव में कोई भूमिका निभाना चाहते हैं, तो उन्हें जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और धमकी और दबाव की पुरानी नीति छोड़नी चाहिए, खासकर ‘स्नैप-बैक’ जैसे कदम, जिनका उनके पास न नैतिक आधार है और न कानूनी।”
इज़रायल-ईरान युद्ध से पहले, ईरान और अमेरिका के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच दौर की परमाणु वार्ता हो चुकी थी, लेकिन प्रमुख अड़चनों, जैसे ईरान में यूरेनियम संवर्धन की उच्च मात्रा — के चलते कोई नतीजा नहीं निकल सका। पश्चिमी देश ईरान में संवर्धन को शून्य पर लाना चाहते हैं ताकि परमाणु हथियार बनने की आशंका समाप्त हो सके। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए है।


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