लगभग दो सौ चार मिलियन लोग सशस्त्र समूहों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहते हैं: आईसीआरसी

लगभग दो सौ चार मिलियन लोग सशस्त्र समूहों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहते हैं: आईसीआरसी

अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (आईसीआरसी) के ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, विश्वभर में लगभग दो करोड़ चालीस लाख लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं जो या तो सशस्त्र समूहों के पूर्ण नियंत्रण में हैं या जिन पर कब्ज़े के लिए संघर्ष जारी है। यह संख्या वर्ष 2021 की तुलना में तीन करोड़ अधिक है। मंगलवार को जारी एक बयान में आईसीआरसी ने कहा कि इनमें से सात करोड़ चालीस लाख लोग पूरी तरह सशस्त्र समूहों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि तेरह करोड़ लोग ऐसे विवादित क्षेत्रों में रह रहे हैं जिनपर नियंत्रण को लेकर संघर्ष जारी है।

साज़िंग 2025 के आँकड़ों में साठ से अधिक देशों में मानवता के लिए चिंता पैदा करने वाले तीन सौ तिरेासी सशस्त्र समूहों की पहचान की गई है। इनमें से एक तिहाई से अधिक सीधे सशस्त्र संघर्ष में शामिल हैं और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार व मानवतावादी क़ानूनों का पालन करने के बाध्य हैं। आईसीआरसी ने कहा कि वह इन समूहों में से लगभग तीन-चौथाई के साथ संपर्क में है ताकि राहत पहुँचाने, बातचीत के माध्यम से सहायता की अनुमति हासिल करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा सकें।

आईसीआरसी के सशस्त्र समूह मामलों के सलाहकार मैथ्यू बाम्बर–ज़राइड ने कहा, “ये आँकड़े उस बात की पुष्टि करते हैं जिसे हम कई वर्षों से देख रहे हैं। अधिकांश सशस्त्र समूह उन क्षेत्रों में गहराई तक फैले हुए हैं जहाँ वे सक्रिय हैं। लेकिन असुरक्षा, आतंकवाद-रोधी प्रतिबंध और सीमित संसाधन लगातार बातचीत के रास्ते में बाधा बन रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “इन वास्तविकताओं को स्वीकार करना, यह समझना कि किसका किस क्षेत्र पर नियंत्रण है, और वे प्रतिबंध जिनके अंतर्गत हम काम करते हैं, यह सब उन क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए आवश्यक है जहाँ लोग हिंसा से प्रभावित हैं।”

आईसीआरसी के अनुसार, कैमरून, इराक़ और फ़िलिपीन में 2024 और 2025 के बीच किए गए क्षेत्रीय अध्ययन में विवादित क्षेत्रों में लोगों की रोजमर्रा की कठिनाइयों को उजागर किया गया है। आईसीआरसी ने बताया कि अनेक विवादित इलाकों में न तो सरकारी तंत्र और न ही सशस्त्र समूह स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या नागरिक दस्तावेज़ उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी निभाते हैं। दस्तावेज़ न होने के कारण लोगों के लिए आवागमन, सेवाओं तक पहुँच या अपनी पहचान साबित करना कठिन हो जाता है, जिससे वे और अधिक शोषण और बहिष्कार का शिकार हो जाते हैं।

यद्यपि कई सशस्त्र समूह सहयोग के इच्छुक हैं, फिर भी मानवतावादी पहुँच कठिन बनी हुई है। समस्याओं में असुरक्षा से लेकर देशों की ओर से लगाए गए क़ानूनी और प्रशासनिक अवरोध शामिल हैं। आईसीआरसी के वरिष्ठ नीति सलाहकार अर्जुन क्लेयर ने कहा, “कई विवादित क्षेत्रों में मूलभूत सेवाओं के समाप्त हो जाने का अर्थ है कि लोग अपनी दक्षता और सामाजिक संबंधों के सहारे जीवित रहते हैं। देश और सशस्त्र समूह अपनी लड़ाइयाँ नागरिकों की पीठ पर नहीं लड़ सकते। नियंत्रण विवादित हो सकता है, लेकिन ज़िम्मेदारियाँ विवादित नहीं होतीं। किसी क्षेत्र पर नियंत्रण का अर्थ है वहाँ रहने वाले लोगों की रक्षा की ज़िम्मेदारी, न कि उन्हें निशाना बनाने की अनुमति।”

संस्था ने सभी पक्षों से आग्रह किया कि वे अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानूनों का सम्मान करें, नागरिकों की सुरक्षा करें और निष्पक्ष मानवतावादी पहुँच को सुगम बनाएँ।

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