चीन की एक ओर चाल , पारित किया नया भूमि सीमा क़ानून भारत के साथ जारी सीमा विवाद के बीच चीन ने एक और गहरी चाल चली है।
चीन ने चाल चलते हुए क्षेत्रीय अखंडता एवं देश की संप्रभुता का हवाला देते हुए एवं पवित्र और पवित्र बताते हुए सीमावर्ती इलाकों के उपयोग एवं संरक्षण के लिए एक नया कानून पारित किया है। चीन की संसद की ओर से पास किए गए इस कानून का असर भारत चीन सीमा विवाद पर पड़ेगा।
चीन की सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति ने इस कानून को मंजूरी दे दी है और यह अगले साल 1 जनवरी से प्रभावी हो जाएगा। इस कानून के अनुसार चीन की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता पावन एवं बेहद पवित्र है।
इस कानून के अनुसार सीमा क्षेत्र की सुरक्षा मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में मदद , सीमावर्ती क्षेत्रों को खोलने एवं जन सेवा तथा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने , लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने के लिए देश प्रभावी कदम उठा सकता है।
याद रहे कि चीन का अपने अधिकांश पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद चलता रहा है। भारत और भूटान के साथ चीन का सीमा विवाद अभी भी जारी है जबकि 12 अन्य पड़ोसी देशों के साथ बीजिंग ने हाल ही में अपने सीमा संबंधी विवादों को सुलझाया है।
भारत के साथ चीन का सीमा विवाद 3488 किलोमीटर के क्षेत्र में है जबकि भूटान और चीन के बीच भी 400 किलोमीटर की सीमा पर विवाद बना हुआ है।
चीन के साथ जारी सीमा विवाद का दोनों देशों के व्यापक रिश्तो पर असर पड़ रहा है। इस संबंध में गत सप्ताह ही विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर हो रहे घटनाक्रम का प्रभाव सीमावर्ती क्षेत्रों में पड़ रहा है और वहां की सुरक्षा व्यवस्था और अमन चैन प्रभावित हो रहा है।