हमने चुनाव जीतने के लिए ‘कर्ज माफी’ का वादा किया था: अजीत पवार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से किसानों की कर्ज माफी की तारीख़ का ऐलान होते ही उनके डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कर्ज माफी को लेकर एक बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान दे दिया। उन्होंने कहा, “हमें चुनाव जीतना था, इसलिए हमने कर्ज माफी का वादा कर दिया था, लेकिन किसानों को कर्ज चुकाने की आदत डालनी चाहिए।” उपमुख्यमंत्री ने तो यह तक कह दिया कि किसान आखिर कब तक ‘मुफ्त’ की उम्मीद करते रहेंगे?
उनके इस बयान पर हंगामा मच गया और किसानों की कर्ज माफी के लिए आंदोलन करने वाले बच्चू कडू ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।ध्यान रहे कि, महायुति नेताओं ने विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था। अजीत पवार ने एक कार्यक्रम में यहां तक कहा था, “मेरा एक भी बयान दिखाइए जिसमें मैंने किसानों की कर्ज माफी का वादा किया हो।” लेकिन हाल ही में पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने नागपुर में आंदोलन किया और किसानों ने पूरे शहर को ठप कर दिया, तब मुख्यमंत्री फड़नवीस ने बच्चू कडू को बुलाकर एक समिति बनाने और 30 जून 2026 तक किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की।
इस घोषणा के बाद अजीत पवार ने अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती में एक रैली को संबोधित करते हुए विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा, “आपको शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज दिया जाता है, तो समय पर कर्ज चुकाने की आदत डालिए ना! हर बार आप कहेंगे कि मुफ्त में दीजिए, हर बार कहेंगे कि कर्ज माफ कर दीजिए — तो यह कैसे चलेगा? ऐसे नहीं होता।”
उन्होंने आगे कहा, “साहब (शरद पवार) ने एक बार कर्ज माफ किया, फिर देवेंद्र (फडणवीस) जी ने माफ किया। उसके बाद जब मैं उद्धव जी की सरकार में था, तब भी हमने कर्ज माफ किया। इस बार हमें फिर से चुनाव जीतना था, तो हमने कह दिया कि किसानों का कर्ज माफ करेंगे। लेकिन इसकी वजह से जिला बैंकों पर भारी बोझ बढ़ रहा है। लोग पैसे लौटाने को तैयार ही नहीं हैं।” उन्होंने साफ कहा, “जहाँ जहाँ संभव होगा, जिला बैंक, डीपीडीसी, जिला परिषद और राज्य सरकार की ओर से मदद दिलाई जाएगी, लेकिन हर बार मदद नहीं मिलेगी। आपको भी मेहनत करनी होगी। यह बात सबके दिमाग में बैठ जानी चाहिए।”
विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया
अजीत पवार के बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाळ ने कहा, “जनता ने कर्ज माफी की मांग नहीं की थी, बल्कि महायुति के नेताओं ने खुद विधानसभा चुनाव के दौरान यह वादा किया था। अब जब महायुति सत्ता में है, तो उसके नेता जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।”
सपकाळ ने कहा, “इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि महायुति सरकार किसानों के प्रति कितनी असंवेदनशील है। किसान इस समय मुश्किल में हैं और वे मदद चाहते हैं। इसलिए उन्होंने सरकार को उनके ही चुनावी वादे की याद दिलाई।” उन्होंने कहा, “अगर सरकार किसानों का कर्ज माफ नहीं कर सकती, तो उसे सत्ता छोड़ देनी चाहिए। महायुति को अब शासन में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।”
किसान नेता विजय जावंदिया का कहना है कि किसान कभी कर्ज माफी की मांग नहीं करेंगे, अगर उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले। उन्होंने बताया कि इस साल कपास और सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिक रहे हैं, जबकि सरकार ने खाद और रसायनों के दाम बढ़ा दिए हैं।
जावंदिया के अनुसार, “खेती की लागत हर कदम पर बढ़ रही है, लेकिन फसलों के दाम नहीं बढ़ रहे। आज सोयाबीन 6,500 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जो 15 साल पहले के दाम हैं। सोयाबीन को आज 10,000 से 15,000 रुपये प्रति क्विंटल में बिकना चाहिए। किसान कर्ज लेकर फसल उगाते हैं, लेकिन जब बेचने का समय आता है, तो सरकार उन्हें उचित मूल्य देने से इनकार कर देती है। ऐसे में किसान कैसे जिएंगे?”
एक अन्य किसान नेता राजू शेट्टी ने अजीत पवार के बयान पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा, “किसान कोई भीख नहीं मांग रहे हैं। अजीत पवार की बात तब सही लगती अगर सरकार पहले किसानों के लिए उचित इंतज़ाम करती ताकि उन्हें अपनी फसलें लागत से कम दाम पर बेचनी न पड़ें। सरकार ऐसी नीति बनाए कि कोई भी किसान मजबूरी में कम दाम पर अपनी फसल न बेचे। हम कर्ज माफी की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हालात हमें मजबूर कर रहे हैं, हम भिखारी नहीं हैं।”


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