अमेरिका में प्रदर्शनकारियों से निबटने के लिए नई फोर्स बनाई जा रही
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने राष्ट्रीय गार्ड को आदेश दिया है कि वे सभी राज्यों में “रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स” यानी त्वरित प्रतिक्रिया बल का गठन करें। इन बलों को अशांति और जन-प्रदर्शनों से निपटने के लिए तैयार किया जाएगा।
वाल स्ट्रीट जर्नल के खुलासे के अनुसार, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने एक आंतरिक ज्ञापन में सभी राज्यों की नेशनल गार्ड इकाइयों को निर्देश दिया है कि जनवरी 2026 से पहले “रैपिड रिस्पॉन्स यूनिट्स” बनाई जाएं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन इकाइयों का उद्देश्य देश के विभिन्न शहरों में संभावित “नागरिक अशांति और विद्रोह” से निपटने की तैयारी करना है।
इस दस्तावेज़ पर 8 अक्टूबर 2025 की तारीख है और इसे जनरल रोनाल्ड बर्केट, पेंटागन के नेशनल गार्ड संचालन निदेशक ने जारी किया है। इसमें हर राज्य को कम से कम 500 प्रशिक्षित सैनिकों को तैयार रखने का निर्देश दिया गया है। इन सैनिकों को भीड़ नियंत्रण, गिरफ्तारी, एंटी-रायट उपकरणों के उपयोग और तनाव कम करने की रणनीतियों में प्रशिक्षित किया जाएगा।
आदेश में यह भी कहा गया है कि ये बल आपात स्थिति में कुछ घंटों के भीतर किसी भी क्षेत्र में तैनात हो सकें। पेंटागन ने बताया कि इस योजना के तहत 100 संपूर्ण “क्राउड कंट्रोल किट” — जिसमें ढाल, डंडे, सुरक्षात्मक पोशाक और गिरफ्तारी के उपकरण शामिल हैं — राज्यों को दिए जाएंगे।
वॉशिंगटन डी.सी. में भी नेशनल गार्ड को एक विशेष सैन्य पुलिस बटालियन गठित करने का आदेश दिया गया है, जो विशेष रूप से दंगों और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगी।
जानकारों का कहना है कि यह योजना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश के तहत तैयार की गई है। पेंटागन ने इसे “घरेलू रक्षा क्षमता के विस्तार” के रूप में बताया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह देश के अंदरूनी मामलों के अधिक सैन्यीकरण की दिशा में एक और कदम है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कदम सैन्य और पुलिस शक्तियों की सीमाओं को धुंधला कर सकता है और संघीय सरकार को राज्यों के मामलों में अत्यधिक हस्तक्षेप की अनुमति दे सकता है।
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक अलग रिपोर्ट में लिखा कि कुछ राज्यपाल इस फैसले से असंतुष्ट हैं और इसे संघीय सरकार द्वारा स्थानीय अधिकारों में सीधा हस्तक्षेप मानते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जिन राज्यों के केंद्र सरकार से मतभेद हैं, वहां इस नीति से राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है।
घरेलू प्रबंधन के सैन्यीकरण” को लेकर चिंता
पूर्व सैन्य अधिकारियों ने वाल स्ट्रीट जर्नल से कहा कि यह नई इकाई “अनावश्यक” है और इससे नेशनल गार्ड का ध्यान उसके असली मिशनों — जैसे रक्षा और आपदा राहत — से भटक सकता है।
गार्जियन अखबार ने भी लिखा कि इस निर्णय से घरेलू अशांति से निपटने में सैन्य बलों के इस्तेमाल का रास्ता खुल सकता है, जो “पॉज़ी कोमिटेटस ऐक्ट” (Posse Comitatus Act) का उल्लंघन कर सकता है। यह कानून अमेरिका में सेना के आंतरिक प्रशासनिक या पुलिस कार्यों में उपयोग को सीमित करता है।
इस नए आदेश के तहत, ट्रंप प्रशासन एक सर्व-राज्यीय अर्धसैनिक ढांचा तैयार कर रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य जन-प्रदर्शनों और शहरी संकटों को नियंत्रित करना होगा। विश्लेषकों के अनुसार, यह फैसला आगामी अमेरिकी चुनावों से पहले संभावित सामाजिक अशांति की आशंका के जवाब के रूप में लिया गया है।
वाल स्ट्रीट जर्नल, गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट में रिपोर्ट आने के बाद मीडिया, सोशल नेटवर्क और विशेषज्ञों की ओर से कड़ी आलोचना की गई है।
कई आलोचकों का कहना है कि यह कदम न सिर्फ “प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने” के लिए है, बल्कि राजनीतिक विरोधियों, एंटी-ट्रंप आंदोलनों और सामाजिक न्याय अभियानों (जैसे प्रवासी या पूंजीवाद विरोधी आंदोलन) को दबाने के एक औज़ार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।


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