वॉशिंग्टन : रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि वो ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते पर बातचीत करने के लिए तैयार है, गौरतलब है कि इस समझौते के अंतर्गत तेहरान पर परमाणु हथियार बनाने के लिए रोक लगाई गई थी और वॉशिंगटन ने करीब 3 साल पहले इस समझौते को छोड़ दिया था।
इस कदम से अमेरिका के प्रशासन में बदलाव नजर आता है, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने राष्ट्रपति जो बाईडेन की स्थिति पर ज़ोर देते हुए कहा कि अगर तेहरान ने इस समझौते में वापसी की तो वाशिंगटन को संयुक्त व्यापक योजना (JCPOA) के रूप में जाना जाएगा।
आपको बता दें कि पेरिस में इकठ्ठा हुए E3 नामक एक समूह सहित ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के साथ की गई वीडियो मीटिंग के दौरान ब्लिंकेन द्वारा सामने रखे गए इस विचार पर ईरान ने ठंडी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
चारों राष्ट्रों ने एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि अगर ईरान JCPOA के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं के साथ सख्त अनुपालन में वापस आता है तो अमेरिका भी ऐसा ही करने और ईरान के साथ इस मामले में वार्तालाप करने के लिए तैयार है।
इस बयान पर जवाब देते हुए ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि पहला कदम वॉशिंगटन के तरफ से उठना चाहिए।
गौरतलब है कि ज़रीफ़ ने पहले भी इस समझौते में वापसी करने के विषय पर वाशिंगटन और दूसरे पक्षों के साथ बातचीत करने के लिए संकेत दिया है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा आर्थिक प्रतिबंध लगाने के एक साल बाद ईरान ने 2019 में इस समझौते का उल्लंघन करना शुरू किया और हाल के महीनों में ये उल्लंघन और तेज़ हो गया है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस स्थिति से निपटने का एक तरीका ये भी हो सकता है कि सौदे में वापसी पर पहल अमेरिका द्वारा पाबन्दियां जारी रख कर की जाए या ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करके उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सीकवेंसिंग का मुद्दा हमें आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बाधा बनेगा।
रॉयटर्स द्वारा देखे गए अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लिखे गए एक पत्र के अनुसार अमेरिका ने ट्रम्प प्रशासन द्वारा सितम्बर मे ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के दावे को भी वापस ले लिया