यूक्रेन में भारतीय छात्र: खाना न दें, कम से कम मौत के मुंह में तो न भेजें

यूक्रेन में भारतीय छात्र: खाना न दें, कम से कम मौत के मुंह में तो न भेजें

यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। अब यूक्रेन की राजधानी कीव में भारतीय छात्रों के ऊपर बंदूके तानने का मामला सामने आया है।

ये मामला उस समय का है कि जब भारतीय छात्रा रेलवे स्टेशन से वापस आ रहे थे जब यूक्रने की सेना ने उन पर बंदूक तान दी। छात्र बुरी तरह डर गए। फिर बहुत मुश्किल से वो यूक्रेन के सैनिकों को अपनी समस्या समझा पाए।

बता दें कि यूक्रेन में भारतीय छात्रों का कहना है कि वेस्टर्न बॉर्डर तक जाने के लिए एम्बेसी ने बम-बारी के बीच छात्रों को रेलवे स्टेशन भेज दिया गया। छात्रों को ट्रैन न मिलने के कारण वापस एम्बेसी लौटना था। तब कीव शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। उसी दौरान रास्ते में यूक्रनेनी सैनिकों ने उन पर बंदूके तान दी।

मीडिया के अनुसार एम्बेसी ने 300 लोगों को रेलवे स्टेशन भेजा था। लेकिन सिर्फ 60 लोगों को ही ट्रेन मिल पाई। बाकि सभी लोगों को वापस एम्बेसी लौटना पड़ा। छात्रों का आरोप है कि एम्बेसी ने जान बुझ कर उनको ऐसे हालत में बाहर भेजा ताकि एम्बेसी को खाली करवाया जा सके।

भारतीय छात्रों का कहना है कि कि न सरकार उनकी मदद कर रही है ना ही एम्बेसी। जब वो वापस आए तब उन्हें एम्बेसी में घुसने भी नहीं दिया गया। इस मामले में एम्बेसी की तरह से कोई बयान नहीं आया है।

एम्बेसी के बंकरों में रह रहें छात्रों ने वीडियो जारी कर अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा

“हम लोगों को एम्बेसी वालों ने रेलवे स्टेशन भेजा। हम से कहा गया कि मैसेज करके ट्रेन के बारे में जानकारी दे देंगे और एक कोड बता देंगे। हम लोग रेलवे स्टेशन गए, जब हम वहां पहुंचे तो हमें एंट्री नहीं दी गई। करीब 150 बच्चों को वापस भागना पड़ा। जब हम वापस आ रहे थे तो यूक्रेन की आर्मी ने हम पर गन तान दी। हमने बड़ी मुश्किल से उन्हें समझाया। यहां पर भाषा की वजह से समझाना मुश्किल होता है। हमने उनसे प्रार्थना कि हम इंडियन एम्बेसी में जा रहे हैं। बहुत मुश्किल से हम बच कर आए। एम्बेसी आए तो एम्बेसी वालों ने हमसे बदतमीजी की। बहुत खराब व्यवहार किया। हमें खाना भी नहीं दे रहे।”

छात्रों का कहना था कि खाना न दें, कम से कम मौत के मुंह में तो न भेजें। रेलवे स्टेशन जाने के बाद उन्होंने हमारा फोन उठाना भी बंद कर दिया है। हम बहुत मुसीबत में हैं। ये लोग चुनाव में अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं।

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