इथियोपिया, संयुक्त राष्ट्र कर्मी आतंकी गतिविधियों के आरोप में बंदी

इथियोपिया, संयुक्त राष्ट्र कर्मी आतंकी गतिविधियों के आरोप में बंदी आंतरिक संकट से जूझ रहे इथियोपिया से संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए अच्छी खबर नहीं है।

इथियोपिया में मौजूद संयुक्त राष्ट्र संघ के कर्मचारियों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बंदी बना लिया गया है। इथियोपिया में जारी आपातकाल के बीच संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को हिरासत में लिए जाने की खबरों की पुष्टि करते हुए इथियोपिया के सरकारी प्रवक्ता एवं संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि देश में जारी आपातकाल के समय संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने के आरोप में बंदी बनाया गया है।

संयुक्त राष्ट्र तथा इथियोपिया के एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए कहा है कि पिछले 1 साल से सरकार और टाइग्रे विद्रोहियों के बीच चल रहा युद्ध तेज हो गया है। सरकार ने टाइग्रे समुदाय से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की मुहिम तेज कर दी है। नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि हिरासत में लिए गए सभी कर्मचारियों का संबंध भी टाइग्रे समुदाय से है।

इथियोपिया की राजधानी में आपातकाल की घोषणा के बाद से टाइग्रे समुदाय से संबंधित वकीलों एवं अन्य लोगों को बड़ी संख्या में नजरबंद किए जाने की सूचना मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के अनुसार अदीस अबाबा ने संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को नजरबंद किए जाने का कोई कारण नहीं बताया है।

दुजारिक ने प्रेस कर्मियों से बात करते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के मानवीय प्रमुख की इथियोपिया यात्रा के समय भी कुछ लोगों को नजरबंद किया गया था हालाँकि उस समय बंदी बनाए गए 6 कर्मचारियों को बाद में आजाद कर दिया गया था।

इथियोपिया के विदेश मंत्रालय से अपील करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने तत्काल उसके कर्मचारियों को रिहा करने की मांग की है जबकि इथियोपिया सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ के कर्मचारियों पर गलत कामों और आतंकवादी गतिविधियों में भागीदारी का आरोप लगाते हुए उन्हें हिरासत में लिया है। हालांकि सरकार के प्रवक्ता ने इस संबंध में कोई और अधिक विवरण देने से इनकार कर दिया है।

इथियोपिया सरकार के प्रवक्ता के बयान पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रवक्ता ने कहा है कि हमारे पास इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं है। सरकार का कहना है कि वह विद्रोही समूह का समर्थन करने के संदेह में कुछ लोगों को नजरबंद कर रही है। यह लोग पिछले 1 साल से सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर रहे गुटों का समर्थन कर रहे हैं।

अमेरिका ने इस संबंध में बयान देते हुए कहा है कि अगर यह रिपोर्ट सही हुई तो हम जातीयता के आधार पर लोगों को हिरासत में रखने को कदापि बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह अस्वीकार्य है।

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