एमवीए को महाराष्ट्र विधानसभा में हुई ग़लतियों को सुधारना होगा: उद्धव
शिवसेना (उद्भट गुट) के प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान हुए सीट बंटवारे, उम्मीदवार चयन में विलंब और राजनीतिक रणनीतियों की गलतियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर भविष्य में भी इस तरह की गलतियां दोहराई गईं तो महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
उद्धव ठाकरे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एमवीए गठबंधन की राजनीतिक मजबूती और उसके साझा विजन पर प्रश्नचिह्न लगने लगे हैं। उन्होंने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एमवीए का प्रदर्शन अत्यंत प्रभावशाली था, जिसने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह पैदा कर दिया था। हालांकि, यह उत्साह विधानसभा चुनाव के दौरान दलों के बीच व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और अहंकार में बदल गया, जिससे गठबंधन की रणनीति कमजोर पड़ गई और अंततः चुनाव परिणाम उनके खिलाफ गए।
लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ा था एमवीए का मनोबल
2024 के लोकसभा चुनाव में एमवीए ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीटें जीती थीं, जो गठबंधन की ताकत और जनता के बीच उसकी स्वीकार्यता का स्पष्ट संकेत था। इस जीत ने गठबंधन के भीतर उम्मीदों को बल दिया था और माना जा रहा था कि आगामी विधानसभा चुनावों में एमवीए मजबूत वापसी करेगा।
लेकिन विधानसभा चुनावों में एमवीए को मिली करारी हार ने सबको चौंका दिया। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में एमवीए गठबंधन की तीनों पार्टियों – शिवसेना (उद्भट), एनसीपी (शरद पवार), और कांग्रेस – ने केवल 46 सीटें ही जीत पाईं। इसके विपरीत भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने भारी बहुमत हासिल किया।
सीट बंटवारे को लेकर उठे सवाल और देरी का असर
उद्धव ठाकरे ने ‘सामना’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान एमवीए के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत आखिरी क्षण तक चली। इस देरी और अंत तक विवाद करने की प्रक्रिया ने गठबंधन की चुनावी तैयारी को बाधित किया। उन्होंने कहा, “इस झगड़े से जनता के बीच हमारे बारे में गलत संदेश गया, जिससे गठबंधन की छवि पर असर पड़ा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कई क्षेत्रों में चुनावी उम्मीदवार तय नहीं हो पाए थे, जिससे गठबंधन कमजोर दिखा और इसका नकारात्मक प्रभाव मतदाताओं पर पड़ा। उनके अनुसार, सीट बंटवारे पर होने वाले विवाद और समय पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा न होना रणनीतिक रूप से एक बड़ी चूक थी।
रियायतों की होड़ ने भी बढ़ाया नुकसान
उद्धव ठाकरे ने विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टियों द्वारा एक-दूसरे के मुकाबले रियायतों और योजनाओं की होड़ लगाने को भी एमवीए के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रतिस्पर्धा ने न केवल गठबंधन की राजनीतिक प्राथमिकताओं को प्रभावित किया, बल्कि जनता के बीच भ्रम और गलतफहमी भी फैलाई। उन्होंने ‘लाडकी बहिन’ जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ भ्रामक और विवादित घोषणाओं ने भी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित किया।
गलतियों को स्वीकारने से न डरें, लेकिन सुधार जरूरी
‘सामना’ के कार्यकारी संपादक व राज्यसभा सदस्य संजय राउत से बातचीत में उद्धव ठाकरे ने कहा कि गलतियों को स्वीकार करना जरूरी है और इससे डरना ठीक नहीं। उन्होंने कहा, “गलतियों से सीखना चाहिए और उन्हें सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए।” उन्होंने एमवीए के तीनों घटकों – शिवसेना (उद्भट), एनसीपी और कांग्रेस – से अपेक्षा जताई कि वे अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर गठबंधन की मजबूती और जनता की भलाई के लिए काम करें।
एमवीए का भविष्य: एक चुनौतीपूर्ण सवाल
उद्धव ठाकरे ने साफ संकेत दिया कि अगर आगामी चुनावों में भी ऐसी ही रणनीतिक गलतियां और आंतरिक संघर्ष जारी रहे, तो एमवीए गठबंधन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “अगर भविष्य में भी ऐसी ही गलतियां होती रहीं, तो साथ रहने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।”


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