तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज पर रोक लगाई
अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद धीरे-धीरे तालिबान इस देश को अपने अनुरूप ढालने में लगा हुआ है। तालिबान ने नया आदेश जारी करते हुए देश के तिरंगे झंडे पर प्रतिबंध लगाते हुए सभी सरकारी विभागों में तालिबान के सफेद झंडे के प्रयोग को अनिवार्य कर दिया है।
तालिबान शासन ने एक आदेश जारी करते हुए अफगानिस्तान के तिरंगे झंडे पर रोक लगा दी है और सभी विभागों को आदेश दिया है कि वह अनिवार्य रूप से तालिबान की इमाराते इस्लामी के सफेद झंडे का प्रयोग करें।
मेहर न्यूज़ एजेंसी ने रूस की स्पूतनिक एजेंसी के हवाले से खबर देते हुए कहा कि आज तालिबान ने एक आदेश जारी करते हुए देश के तिरंगे झंडे को प्रतिबंधित कर दिया है। इस नए आदेश के बाद आज से अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज रहे तिरंगे को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अतीत में यही झंडा अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक माना जाता था। तालिबान ने अपने आदेश में कहा है कि आज के बाद से सभी विभागों में इमारात ए इस्लामी के सफेद झंडे को लगाया जाएगा और तिरंगे झंडे पर पूर्ण रूप से पाबंदी रहेगी।
बता दें कि अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर क़ाबिज़ तालिबान को अभी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी देश से मान्यता नहीं मिली है लेकिन विश्व समुदाय तालिबान से कूटनीतिक रिश्ते रखने को महत्वपूर्ण मान रहा है। हाल ही में अमेरिका ने भी कहा था कि तालिबान के साथ कूटनीतिक रिश्ते सभी के हित में हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थामस वेस्ट का कहना है कि तालिबान के साथ कूटनीति सभी के हित में है और अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह सबसे अच्छा और संभव विकल्प लगता है।
अफ़ग़ान मामलों में अमेरिका के इस विशेष प्रतिनिधि ने यह दावा म्यूनिख़ में किया जो अब मीडिया में लीक हो चुका है। इस अमेरिकी अधिकारी के अनुसार तालिबान के साथ वाशिंग्टन की कूटनीति ने लड़कियों की शैक्षिक स्तिथि में सुधार जैसा अच्छा परिणाम दिया है, हालांकि इस कूटनीति से एक समावेशी सरकार बनाने को लेकर कुछ ख़ास प्रगति नहीं हुई है।