अमेरिका पर फिर हो सकते हैं 9/11 जैसे हमले, चीन ने चेताया

अमेरिका पर फिर हो सकते हैं 9/11 जैसे हमले, चीन ने चेताया चीन ने अमेरिका पर फिर से बड़े आतंकी हमले की आशंका जताई है।

अमेरिका पर फिर से 9/11 जैसे आतंकी हमले की आशंका जताते हुए चीन के सरकारी मीडिया हाउस ने अमेरिका में फिर से बड़े आतंकी हमले की आशंका जाहिर की है।

अमेरिका में 9/11 जैसे आतंकी हमले के 20 साल पूरे होने के मौके पर ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू शिजिन ने आशंका जताई है कि अमेरिका पर फिर से 9/11 जैसा हमला हो सकता है।

ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू शिजिन ने कहा कि चीन को अमेरिका का दुश्मन समझना वाशिंगटन की भारी भूल है। 11 सितंबर का हमला 19 आतंकियों का किया गया आत्मघाती हमला था, लेकिन यह आतंक का आत्मघाती और अंतिम हमला नहीं था।

आतंकवाद दूसरे घातक हमले के लिए ताकत जुटाएगा। समय बताएगा कि चीन को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझना अमेरिका की भूल है।

चीन और अमेरिका के संबंध अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे हैं चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते इतने बिगड़ चुके हैं कि चीन में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर अमेरिका के सहयोगी देशों ने भी चीन पर प्रतिबंध लगाए हैं।

अमेरिका के दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि अमेरिका को अपनी सोच और राजनीतिक फायदे के आधार पर आतंकियों को परिभाषित करना बंद करना चाहिए। आंतकी सिर्फ आतंकी होते हैं।

राजनीतिक फायदे को देखते हुए आतंकियों को परिभाषित करने का मतलब है आतंकी गतिविधियों की अनदेखी करना, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंक के खिलाफ साझी लड़ाई कमजोर पड़ती है।

याद रहे कि इस से पहले द गार्डियन ने भी चीन अमेरिकी संबंधों पर रिपोर्ट देते हुए कहा था कि चीन से निपटने के लिए अमेरिका की रणनीति वाशिंगटन के लिए एक अरब डॉलर की गलती साबित हो सकती है।

चीन से निपटने की रणनीति वाशिंगटन को 1 अरब डॉलर का चूना लगा सकती है। प्रशांत महासागर में दशकों से अमेरिका और चीन के बीच द्वंद जारी है।

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका का लक्ष्य क्षेत्रीय लोगों की चिंताओं को दूर करना नहीं है बल्कि उसका एकमात्र लक्ष्य चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करना है।

अमेरिका ने इस क्षेत्र में जितना भी निवेश किया है उसके लिए उसने क्षेत्रीय नेताओं से ना तो कोई विचार विमर्श किया है और ना ही उनकी प्राथमिकताओं और समस्याओं को समझा है।

उसका एकमात्र लक्ष्य चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने और अपनी सुरक्षा को मजबूत करना है। क्षेत्रीय देश नहीं चाहते कि वह चीन और अमेरिका में से किसी एक का चयन करें। ना ही वह इन देशों का मोहरा बनना चाहते हैं।

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