म्यांमार में सिविल वार का खतरा, अब तक 600 म्यांमार नागरिकों की मौत,
म्यांमार में इसी साल फरवरी में हुए तख्तापलट के बाद से अब तक सेना बल के हाथों प्रदर्शन कर रहे 600 म्यांमार के नागरिकों की मौत हो चुकी है। ये जानकारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव क्रिस्टिना बर्गनर ने सुरक्षा परिषद को दी है।
क्रिस्टिना बर्गनर ने परिषद के सदस्यों को बताते हुए कहा कि सेना अपने ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों पर भारी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिस वजह से प्रदर्शन कर रहे लोगों की मौत हो गई है साथ ही उन्होंने म्यांमार के हालातों पर चिंता जाहिर की है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित कर म्यांमार की सेना से कहा कि वो जल्द से जल्द उनके द्वारा बंदी बनाए गए राजनीतिको को रिहा करे और देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करे। साथ ही यूएन ने म्यांमार में सिविल वार का खतरा भी जताया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव क्रिस्टिना ने कहा कि म्यांमार में हालात लगातार बेकाबू हो है और साथ ही सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शनकारियों का विरोध जारी है। उन्होंने ये भी बताया कि तख्तापलट के बाद से अब तक दस हजार से अधिक लोग दूसरे देशों की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। जिसमे से अधिकतर लोगों ने भारत का रुख किया है। भारत के पूर्वी राज्य मिजोरम की सरकार यहां पर म्यांमार से जान बचाकर भाग कर आने वालों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कर रही है।
म्यांमार के भारत से सटे राज्य चिन के मुख्यमंत्री ने भी भारत में शरण ले रखी है। क्रिस्टिना ने ये भी कहा कि म्यांमार के सैन्य बलों ने अब तक छह हजार लोगों को गिरफ्तार कर लिए है। और कुछ लोगों को गिरफ्तार करके उनके घर वालों को उसकी खबर तक नहीं दी गई है। यूएन के आंकड़ों के अनुसार अब तक 178000 लोग इस तख्तापलट के बाद विस्थापित हुए हैं।
सुरक्षा परिषद की बैठक में क्रिस्टिना ने सभी सदस्यों से अपील की है कि वो म्यांमार में शांति बहाली को लेकर विकल्पों पर विचार करें। साथ ही उन्होंने सभी सदस्य देशों से जल्द से जल्द म्यांमार में कार्रवाई की भी मांग की है।
क्रिस्टिना ने ये भी बताया कि म्यांमार में हजारों लोग सुरक्षा बलों से बचने के लिए जंगलों में भाग गए हैं। इसके अलावा मियांमार के सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन कर रही जनता के पास राहत सामग्री पहुंचाने के सभी रास्तो को बंद कर दिया है जिससे उनके जीवन पर संकट मंडरा रहा है।